तमिलनाडु की क्षेत्रीय पार्टी पट्टाली मक्कल कच्ची (पीएमके) में आंतरिक कलह जारी है। पार्टी के संस्थापक डॉ. एस. रामदास ने अपने बेटे और पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अंबुमणि रामदास को ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ के आरोप में पार्टी की मूल सदस्यता से निष्कासित कर दिया है।
यह फैसला 11 सितंबर 2025 को लिया गया, जो पार्टी के भविष्य को लेकर गंभीर संकट पैदा कर रहा है। विवाद की जड़ में भारत के चुनाव आयोग द्वारा कथित तौर पर जारी एक पत्र है, जिसमें वकील बालू के हस्ताक्षर के साथ अंबुमणि को पार्टी अध्यक्ष घोषित किया गया बताया जा रहा है।
हालांकि, सलेम पश्चिम से विधायक आर. अरुल ने इस दावे का खंडन किया है। अरुल ने कहा, “अंबुमणि को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है, साथ ही पार्टी के महासचिव और कोषाध्यक्ष को भी बर्खास्त कर दिया गया। पार्टी की आम सभा और कार्यकारी समिति ने ऐसे फैसले लिए हैं जो अंबुमणि के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं।” अरुल ने बालू के हस्ताक्षरित पत्र को ‘झूठा और भ्रामक’ करार देते हुए दावा किया कि यह दस्तावेज एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘आम’ अब डॉ. रामदास के नेतृत्व वाली मूल पीएमके को आवंटित कर दिया गया है।
बता दें कि यह विवाद पिछले कई महीनों से देखा जा रहा है। अप्रैल 2025 में रामदास ने अंबुमणि को अध्यक्ष पद से हटाकर खुद कमान संभाली थी, उन्हें केवल कार्यकारी अध्यक्ष बनाया। जुलाई में अंबुमणि ने जवाबी कार्रवाई में अरुल को पार्टी से निकाल दिया था, लेकिन रामदास ने इसे अमान्य घोषित कर दिया। रामदास ने आरोप लगाया कि अंबुमणि भाजपा के साथ गठबंधन और पार्टी दिशा को लेकर विद्रोही रुख अपना रहे हैं, जबकि अंबुमणि के वकील ने निष्कासन को अवैध बताया है।
अरुल ने कहा कि पार्टी को ‘हाईजैक’ करने की साजिश रची जा रही है, लेकिन समर्थक डॉ. रामदास के साथ मजबूती से खड़े रहेंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में रामदास के नेतृत्व में पीएमके विजयी होगी। पार्टी के तीन विधायकों और महासचिव ने अंबुमणि का समर्थन किया है।