तमिलनाडु के वालपराई पठार क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए तमिलनाडु वन विभाग के नेतृत्व में गठित छह सदस्यीय समिति ने अपनी सक्रियता तेज कर दी है। यह समिति विभिन्न सरकारी विभागों और चाय बागान प्रबंधन के साथ समन्वय बनाकर काम कर रही है और जल्द ही अपनी सिफारिशें राज्य सरकार को सौंपने की तैयारी में है।
इस समिति की अध्यक्षता अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक एस राम सुब्रमणियन कर रहे हैं। हाल ही में समिति ने वालपराई नगर पालिका आयुक्त कार्यालय में एक अहम समीक्षा बैठक की, जिसमें नगर पालिका, राजस्व, पुलिस और श्रम विभाग के अधिकारी शामिल हुए। बैठक में चाय बागानों में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति, कचरा प्रबंधन व्यवस्था और मानव तथा जंगली जानवरों के बीच टकराव को रोकने के उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई।
अधिकारियों के अनुसार, समिति इस सप्ताह के अंत तक अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे सकती है, हालांकि राज्य सरकार ने समिति को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कुल 15 दिनों का समय दिया है। बैठक में आए सुझावों को रिपोर्ट में शामिल किया जा रहा है।
तत्काल कदमों के तहत समिति ने श्रम विभाग को निर्देश दिए हैं कि चाय बागान प्रबंधन श्रमिकों को जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराएं। इनमें पर्याप्त रोशनी, काम करने योग्य शौचालय और सुरक्षित आवासीय वातावरण शामिल है, खासकर उन प्रवासी मजदूरों के लिए जो जंगल से सटे इलाकों में रहते हैं। समिति का मानना है कि कमजोर बुनियादी ढांचा और आवासीय क्षेत्रों में अंधेरा वन्यजीव हमलों की बड़ी वजह बन रहे हैं।
नगर पालिका अधिकारियों को खुले स्थानों पर लंबे समय तक कचरा जमा न होने देने और समय पर कचरा हटाने के निर्देश दिए गए हैं। खुले में जमा कचरा जंगली जानवरों को बस्तियों की ओर आकर्षित करता है, जिससे संघर्ष की आशंका बढ़ जाती है। इसके साथ ही वालपराई आने वाले पर्यटकों से निकलने वाले ठोस कचरे के उचित निपटान पर भी जोर दिया गया है।
पिछले सप्ताह समिति के सदस्यों ने कई चाय बागानों का दौरा किया, जिनमें इयरपाड़ी एस्टेट भी शामिल है, जहां हाल ही में तेंदुए के हमले में आठ वर्षीय बच्चे की मौत हो गई थी। अन्य बागानों में भी श्रमिकों के लिए उपलब्ध सुविधाओं और सुरक्षा इंतजामों का जायजा लिया गया।
एक समिति सदस्य ने बताया कि सक्ति एस्टेट मॉडल (जहां श्रमिकों को व्यापक सुविधाएं दी गई हैं) को अन्य बागानों में लागू करने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा, एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) को प्रवासी श्रमिकों के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाने की जिम्मेदारी दी गई है ताकि उन्हें वन्यजीवों से बचाव के जरूरी उपाय बताए जा सकें।
अधिकारियों के मुताबिक, पिछले 18 वर्षों में वालपराई क्षेत्र में मानव-वन्यजीव संघर्ष के कारण 60 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। चाय बागान प्रबंधन ने आपात स्थितियों में जंगली हाथियों को खदेड़ने के लिए अतिरिक्त कर्मियों और वाहनों की मांग भी की है। समिति ने बागान प्रबंधन को श्रमिकों के घरों के आसपास की झाड़ियों को साफ करने का भी निर्देश दिया है। घरों के चारों ओर 30 से 40 फीट तक वनस्पति हटाने से दृश्यता बेहतर होगी और तेंदुए या भालू जैसे जानवरों की गतिविधियों का समय रहते पता चल सकेगा।

