तमिलनाडु के पेरम्बलूर जिले के सबसे बड़े मक्का उत्पादक क्षेत्र वेप्पंथट्टई ब्लॉक में लगातार बारिश से सैकड़ों हेक्टेयर क्षेत्र में खड़ी मक्के की फसल बर्बाद हो गई है, जिससे किसान चिंतित हैं। उन्होंने फसल नुकसान के तुरंत आकलन और मुआवजे की मांग की है।
इस साल, पेरम्बलूर जिले में लगभग 75,000 हेक्टेयर में मक्के की खेती की गई थी, जिसमें से लगभग 45,000 हेक्टेयर को फसल बीमा के तहत लाया गया था। बुवाई तमिल महीनों आदि (मध्य जुलाई) और पुरत्तासी (मध्य सितंबर) के बीच शुरू हुई थी। पहले बोई गई ज्यादातर फसल पक चुकी थी, जिससे अच्छी पैदावार होने की उम्मीद थी। हालांकि पिछले एक महीने से लगातार बारिश ने स्थिति को पूरी तरह बदल दिया है।
पूरे मानसून के दौरान जिले में सामान्य से कम बारिश होने के बावजूद पिछले कुछ हफ्तों में लगातार भारी बारिश के कारण फसल को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। बारिश से मक्के के पौधे गीली मिट्टी में झुक गए और गिर गए।
पानी भरे खेत मशीनों से कटाई के लिए बेकार हो गए हैं, जिससे किसानों की परेशानी और बढ़ गई है।
किसानों का अनुमान है कि कृष्णापुरम, अन्नामंगलम, अरुम्बावुर, थलुतलाई, विश्वकुडी, थोंडामंडुरई और अरसलूर सहित कई गांवों में 1,000 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में खड़ी मक्के की फसल पहले ही खराब हो चुकी है।
कई किसानों ने कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर शिकायतें दर्ज कराई हैं। साथ ही नुकसान का आकलन करने के लिए तुरंत खेतों का निरीक्षण करने का आग्रह किया है। जिन किसानों ने इस मौसम में खेती में बहुत ज्यादा निवेश किया था, उनके लिए नुकसान बहुत ज्यादा है।
बीज, खाद, मजदूरी और सिंचाई लागत लगातार बढ़ने के कारण कुछ किसानों का कहना है कि उन्हें प्रति एकड़ लगभग 25,000 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। सामान्य पैदावार की उम्मीद अब पैदावार में भारी कमी के डर में बदल गई है। कई खेतों में पैदावार सामान्य फसल के आधे से भी कम होने की उम्मीद है, जबकि बुरी तरह प्रभावित इलाकों में ठीक होने की बहुत कम संभावना है।
कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने पुष्टि की है कि वेप्पंथट्टई ब्लॉक के कई गांवों से शिकायतें मिली हैं। कुछ जगहों पर खेतों का निरीक्षण पहले ही शुरू हो चुका है। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि सभी प्रभावित क्षेत्रों में विस्तृत आकलन किया जाएगा।
निष्कर्षों के आधार पर मुआवजे और फसल बीमा दावों के संबंध में आगे कदम उठाए जाने की उम्मीद है। चूंकि अनिश्चित मौसम की स्थिति बाकी खड़ी फसलों के लिए खतरा बनी हुई है, इसलिए किसान आगे के नुकसान को कम करने और समय पर राहत प्रदान करने के लिए अधिकारियों से जल्द कार्रवाई का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।


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