सिरसा में पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कृषि, पुलिस और अग्निशमन विभाग ने 10 टीमें बनाई हैं जो रात 11 बजे से सुबह 3 बजे तक अपने निर्धारित गांवों में गश्त करेंगी और ऐसी घटनाओं पर नजर रखेंगी और उन्हें रोकेंगी। यह कार्रवाई हरियाणा अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (HARSAC) द्वारा जिले में पराली जलाने की घटनाओं को चिन्हित किए जाने के बाद की गई है।
मंगलवार रात कृषि उपनिदेशक सुखदेव सिंह ने अपनी टीम के साथ मंगला, अलीपुरम, टीटू खेड़ा, वैदवाला, मोरीवाला, सुचान कोटली, केसुपुरा, कोटली और सिकंदरपुर गांवों का दौरा किया। इस दौरान पराली जलाने की कई घटनाएं सामने आईं। विभाग ने सात किसानों पर एफआईआर दर्ज कर जुर्माना लगाया है।
सिंह ने बताया कि जिले में धान की कटाई लगभग पूरी हो चुकी है और किसान अपने खेतों में बची हुई पराली का प्रबंधन कर रहे हैं। टिकाऊ तरीकों को बढ़ावा देने के लिए सरकार धान की पराली के प्रबंधन के लिए 1,000 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी दे रही है। उन्होंने कहा कि किसान कृषि विभाग के पोर्टल agriharyana.gov.in के माध्यम से इस सब्सिडी के लिए आवेदन कर सकते हैं। अब तक जिले के 23,682 किसानों ने इस योजना के तहत लगभग 2,00,396 एकड़ जमीन पंजीकृत कराई है।
उन्होंने चेतावनी दी कि पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना, एफआईआर और मेरी फसल मेरा ब्यौरा रिकॉर्ड में “लाल प्रविष्टि” सहित सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह लाल प्रविष्टि उन्हें अगले दो सत्रों के लिए मंडियों में ई-खरीद प्रणाली के माध्यम से फसल बेचने से रोक देगी।
HARSAC के आंकड़ों के अनुसार, धान की पराली जलाने की घटनाओं के मामले में सिरसा हरियाणा में तीसरे स्थान पर है, जहाँ 147 स्थानों पर पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं। ये आंकड़े 24 नवंबर तक के हैं। हालांकि, स्थानीय कृषि विभाग द्वारा जांच के बाद इनमें से करीब 50 घटनाएं सच पाई गईं।