हाल ही में आई मानसून की बाढ़ और बीबीएमबी द्वारा पौंग बांध से छोड़े गए अतिरिक्त पानी ने न केवल सामान्य जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, बल्कि निचले कांगड़ा जिले के इंदौरा उपमंडल के निचले इलाके में उपजाऊ कृषि भूमि पर भी कहर बरपाया है।
पिछले महीने आई बाढ़ में जहाँ सैकड़ों कनाल उपजाऊ ज़मीन बेकार हो गई है, वहीं धान की फसल भी बर्बाद हो गई है। सिर्फ़ ज़मीन ही नहीं, बल्कि ग्रामीण बुनियादी ढाँचे को भी भारी नुकसान हुआ है। मानसून की बाढ़ से पहले जो खेत धान की भरपूर फसल से हरे-भरे दिख रहे थे, वे अब या तो पत्थरों, रेत और कीचड़ से भर गए हैं या ब्यास नदी के पानी से लबालब भर गए हैं।
स्थानीय निवासियों ने बताया कि मांड क्षेत्र में घंडरान से जखबाद तक व्यास की पाँच सहायक नदियों में अचानक आई बाढ़ के कारण पत्थर और बजरी बहकर आई, जिससे व्यास नदी का तल ऊँचा हो गया और नदी का मार्ग बदल गया। नदी के निचले इलाकों के खेत पानी से भर गए हैं, जिससे धान की फ़सलें बर्बाद हो गई हैं और उनके हरे-भरे खेत बंजर ज़मीन में बदल गए हैं।
मांड क्षेत्र के सबसे ज़्यादा प्रभावित गाँव हैं घगवान, सुरदवान, मिज़लीबांध, मांड-घंडराह, सनौर, भटोली और हल्या, जहाँ सैकड़ों कनाल कृषि भूमि बुरी तरह प्रभावित हुई है। सिंचाई के लिए बोरवेल से पानी उठाने के लिए लगाए गए लगभग 10 सौर ऊर्जा सिस्टम क्षतिग्रस्त हो गए हैं। जल शक्ति विभाग द्वारा लगाए गए छोटे टैंक और पाइपलाइन नेटवर्क को भी नुकसान पहुँचा है। घगवान और सुरदवान गाँवों में अचानक आई बाढ़ से बिजली आपूर्ति लाइनों सहित कई बिजली के खंभे उखड़ गए।
संबंधित विभागों को प्रभावित क्षेत्र में सिंचाई और बिजली आपूर्ति लाइनों को बहाल करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।