राष्ट्रीय राजमार्ग-707 पर सतौन के पास गिरि नदी पर बना जर्जर पुल यात्रियों के लिए चिंता का विषय बन गया है। लोगों की शिकायतों के बावजूद संबंधित अधिकारी आवश्यक मरम्मत कार्य करने में विफल रहे हैं, जिससे वाहनों को जोखिम उठाकर पुल से गुजरना पड़ रहा है।
यह पुल रेणुकाजी, पौंटा साहिब और शिलाई विधानसभा क्षेत्रों को जोड़ता है, जिससे रोजाना हजारों लोग आवागमन करते हैं। पुल की लोहे की प्लेटें लंबे समय से टूटी हुई हैं। सतौन की तरफ की प्लेट भी ढीली हो गई है, जिससे स्थिति और भी खराब हो गई है।
पुल के रखरखाव का काम नौकरशाही के पेंच में फंस गया है, जिसमें लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) एक-दूसरे को जिम्मेदारी सौंप रहे हैं। एनएचएआई का दावा है कि पीडब्ल्यूडी के मैकेनिकल विंग को मरम्मत का काम संभालना चाहिए, जबकि पीडब्ल्यूडी का कहना है कि चूंकि यह राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क के अंतर्गत आता है, इसलिए एनएचएआई को इसका जिम्मा लेना चाहिए।
यह पुल न केवल तीन निर्वाचन क्षेत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा है, बल्कि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उत्तर भारत के सबसे बड़े चूना पत्थर बाजार सतौन से माल, विशेष रूप से चूना पत्थर ले जाने वाले सैकड़ों वाहन प्रतिदिन इस पुल से गुजरते हैं। वर्तमान में जीर्णता की स्थिति ने इस आवश्यक मार्ग को खतरे में डाल दिया है, जिससे जीवन और आर्थिक स्थिरता दोनों को खतरा है।
कार्रवाई न होने से हताश स्थानीय निवासियों ने तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए अपनी आवाज़ उठाई है। पुल की भयावह स्थिति को उजागर करते हुए राज्य और केंद्र सरकार दोनों को पत्र भेजे गए हैं। समुदाय के सदस्यों ने चेतावनी दी है कि बिगड़ती स्थिति से तबाही मच सकती है।
स्थानीय नेता और निवासी प्राधिकारियों से गतिरोध दूर करने तथा यात्रियों की सुरक्षा और आर्थिक गतिविधियों की निरंतरता को प्राथमिकता देने का आग्रह कर रहे हैं।
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