December 18, 2025
National

जनता के लिए नई योजना शुरू करने में नहीं, सिर्फ नाम बदलने की राजनीति में जुटी सरकार : सांसद राजीव शुक्ला

The government is not engaged in starting new schemes for the public, but is only engaged in the politics of changing names: MP Rajiv Shukla

मनरेगा का नाम बदलकर ‘विकसित भारत–जी राम जी’ किए जाने को लेकर विपक्षी दल लगातार सरकार पर हमला बोल रहे हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला का बयान भी सामने आया है, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है। राजीव शुक्ला ने साफ कहा कि मनरेगा योजना मनमोहन सिंह सरकार की एक बेहद सफल और जनहितकारी योजना थी, जिससे गांवों में रहने वाले गरीब लोगों को सीधा और बड़ा फायदा मिला था।

उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत ग्रामीण इलाकों में लोगों को काम मिला, जिससे उनकी आमदनी बढ़ी और पलायन भी कम हुआ। लेकिन मौजूदा सरकार ने कोई नई और ठोस योजना शुरू नहीं की है। इसके बजाय पुरानी योजनाओं के नाम बदलकर सिर्फ भ्रम पैदा किया जा रहा है। सरकार का पूरा ध्यान केवल नाम बदलने और उसका श्रेय लेने पर है, जबकि जमीनी हकीकत पर कोई काम नहीं हो रहा।

कांग्रेस सांसद ने कहा कि अब मनरेगा का जो नया नाम रखा गया है, उसे न तो आम लोग ठीक से पढ़ पा रहे हैं और न ही समझ पा रहे हैं कि इसका मतलब क्या है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि नाम इतना जटिल है कि गांव के गरीब लोग इससे और ज्यादा उलझन में पड़ जाएंगे। सिर्फ नाम बदलने से योजना बेहतर नहीं हो जाती, बल्कि इससे समस्याएं और बढ़ जाती हैं।

राजीव शुक्ला ने यह भी आरोप लगाया कि नए बदलावों के जरिए केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी राज्यों पर डाल रही है। उन्होंने कहा कि राज्यों को अब ज्यादा बोझ उठाना पड़ रहा है, जबकि केंद्र सरकार अपने हिस्से का योगदान कम कर रही है। कई राज्य पहले से ही आर्थिक दबाव में हैं और ऐसे में मनरेगा जैसी योजना का सही तरीके से संचालन करना उनके लिए मुश्किल हो जाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि सरकार काम के दिनों को बढ़ाने की बात तो कर रही है, लेकिन असलियत यह है कि जिन दिनों लोगों को सच में काम की जरूरत होती है, उन्हीं दिनों काम देने से मना कर दिया जाता है। इससे गरीब मजदूरों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है।

राजीव शुक्ला का कहना है कि नए बिल में कई खामियां और कमियां हैं, जो मनरेगा योजना को बुरी तरह प्रभावित करेंगी। अगर यही स्थिति रही तो गांवों के गरीब और मजदूर वर्ग को जो फायदा पहले मिल रहा था, वह अब नहीं मिल पाएगा। उन्होंने कहा कि नाम बदलने के बजाय योजना को मजबूत करने और गरीबों के हित में काम करने पर ध्यान दिया जाए।

वहीं, सोनिया गांधी से पंडित नेहरू की चिट्ठियां वापस मांगे जाने के मुद्दे पर भी राजीव शुक्ला ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह बेहद आश्चर्यजनक है, क्योंकि दो दिन पहले ही सरकार ने साफ कहा था कि नेहरू से जुड़े कोई भी दस्तावेज प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय से गायब नहीं हुए हैं। ऐसे में अचानक बुधवार को चिट्ठियां मांगना समझ से परे है।

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