खनन मामले की जांच में प्रगति न होने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने कहा है कि खनन विभाग और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी स्पष्ट रूप से इस घोटाले में संलिप्त हैं।
अदालत ने आगे कहा कि पुलिस अब जांच को दबाने की कोशिश कर रही है, जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। अदालत ने पंचकूला के पुलिस आयुक्त को अगली सुनवाई पर अदालत में उपस्थित रहने का भी निर्देश दिया।
इस मामले में 27 नवंबर, 2024 को पंचकूला जिले के चंडीमंदिर पुलिस स्टेशन में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, बीएनएस और खनन अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
इस मामले में हरियाणा के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एनएस शेखावत ने कहा कि एफआईआर में आरोपियों, खनन माफिया और हरियाणा के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के बीच मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
बेंच के समक्ष पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट का हवाला देते हुए जस्टिस शेखावत ने कहा कि इस मामले में 82 लोगों की संलिप्तता पाई गई है, लेकिन अब तक केवल 69 लोगों से ही पूछताछ की गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है, जिससे उच्च पदस्थ अधिकारियों को बचाने के लिए जानबूझकर किए गए प्रयासों की चिंता बढ़ गई है।
अदालत ने कहा, “एफआईआर में लगाए गए आरोपों के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि वर्तमान मामले में शिकायतकर्ता द्वारा आरोपियों, खनन माफिया और हरियाणा पुलिस के बहुत वरिष्ठ अधिकारियों के बीच मिलीभगत के बारे में गंभीर आरोप लगाए गए हैं… वर्तमान मामले में जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है और इसके बजाय ऐसा प्रतीत होता है कि वर्तमान मामले में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को बचाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है।”
न्यायमूर्ति शेखावत ने कहा कि मामले की जांच शुरू में सहायक पुलिस आयुक्त द्वारा की गई थी और बाद में पुलिस उपायुक्त स्तर के एक अधिकारी को जांच अधिकारी बनाया गया।
पीठ ने कहा, “पक्षों के वकीलों द्वारा प्रस्तुत दलीलों से यह भी स्पष्ट है कि खनन विभाग और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी पूरे घोटाले में शामिल हैं और पुलिस अब जांच को दबाने की कोशिश कर रही है, जिसकी इजाजत नहीं दी जा सकती।”
मामले से अलग होने से पहले, अदालत ने मामले में प्रतिवादी के रूप में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को लागू करने का आदेश दिया। सीबीआई की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रतीक गुप्ता ने उनकी ओर से नोटिस स्वीकार किया। अब मामले की अगली सुनवाई मार्च के पहले सप्ताह में होगी। याचिकाकर्ता दीपक शर्मा का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद घई ने किया, उनके साथ वकील अर्नव घई, दुष्यंत और हर्षित जांगड़ा भी थे।