November 24, 2024
National

त्रिपुरा में एचआईवी/एड्स के मामलों का बढ़ना चिंताजनक, हर महीने 150-200 लोग हो रहे संक्रमित : मुख्यमंत्री

अगरतला, 15 मार्च। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने गुरुवार को राज्य में एचआईवी/एड्स के मामले बढ़ने पर चिंता जताई। उन्‍होंने कहा कि इस संक्रामक बीमारी से प्रति माह 150 से 200 लोग संक्रमित हो रहे हैं। छात्रों और युवाओं के बीच इंट्रावेनस इंजेक्शन या आईवी दवा का उपयोग बढ़ जाना भी चिंताजनक है।”

यहां के रवींद्र शतवार्षिकी भवन में एचआईवी/एड्स पर एक जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए साहा ने कहा कि जनवरी तक 1,033 महिलाओं और 558 छात्रों सहित 5,330 लोग एचआईवी/एड्स से संक्रमित थे। साहा के पास स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग का भी प्रभार है।

स्वास्थ्य विभाग के तहत त्रिपुरा एड्स कंट्रोल सोसाइटी द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यक्रम में कॉलेज के प्राचार्य, प्रधानाध्यापक, शिक्षक, अभिभावक, छात्र और स्वास्थ्य अधिकारी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ने शिक्षण समुदाय से हालात पर बारीकी से नजर रखने का आग्रह करते हुए कहा कि एचआईवी/एड्स के खतरे को रोकने के लिए निगरानी और पर्यवेक्षण मुख्य कार्य है।

उन्होंने कहा कि 1970 के दशक से मणिपुर “आईवी ड्रग उपयोग” में पूर्वोत्तर राज्यों में शीर्ष पर है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र और देश के सभी राज्य केंद्र के मार्गदर्शन और मदद से “नशा मुक्त भारत” के लिए प्रयास कर रहे हैं।

साहा ने कहा, “हाल ही में मैं दक्षिण त्रिपुरा के बेलोनिया में एक छात्र से मिला। उसने कहा कि वह अच्छा छात्र और खिलाड़ी था, लेकिन बाद में नशीली दवाओं के खतरे का शिकार हो गया। पांच साल के बाद उसने नशीली दवाओं का सेवन बंद कर दिया है और अब वह अपनी बीमारी से उबर रहा है।”

साहा खुद डेंटल सर्जन हैं। उन्‍होंने कहा कि वित्तीय कारणों और अज्ञानता के कारण कई युवा एक ही डिस्पोजेबल सिरिंज का उपयोग बार-बार करते हैं, जिससे बीमारी फैल रही है।

उन्होंने शिक्षकों, स्वास्थ्य अधिकारियों और गैर सरकारी संगठनों सहित सभी संबंधित पक्षों से नशीली दवाओं के खतरे के केंद्र की पहचान करने और एचआईवी/एड्स को जड़ से खत्म करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में असम के बाद त्रिपुरा में सबसे ज्यादा नशीले पदार्थ जब्त और नष्ट किए गए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही आठ जिलों में आठ नशा मुक्ति केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है, ताकि इस समस्या से खुद को मुक्त करने का प्रयास कर रहे युवाओं को सभी तरह की मदद और मार्गदर्शन मिल सके।

अधिकारियों ने कहा कि म्यांमार से तस्करी कर लाई गई दवाएं मिजोरम और असम के रास्ते त्रिपुरा आ रही हैं और गुप्त मार्गों से बांग्लादेश जा रही हैं। हालांकि सीमा सुरक्षा बल ड्रग्स के कारोबार को खत्म करने के लिए हमेशा सतर्क रहते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य सुरक्षा बलों के अलावा, कई अन्य सरकारी एजेंसियां व गैर सरकारी संगठन त्रिपुरा को नशा मुक्त राज्य बनाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। उन्‍होंने सभी संबंधित लोगों से अपने बच्चों के बारे में सतर्क रहने का आग्रह किया, ताकि वे प्रभावित न हों या नशीली दवाओं का शिकार न बनें।

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