धर्मशाला के मध्य में स्थित कांगड़ा संग्रहालय, जो एक सांस्कृतिक धरोहर है, उस पश्चिमी ढलान की अस्थिरता के कारण गंभीर संरचनात्मक खतरे का सामना कर रहा है जिस पर इसकी विशाल इमारत खड़ी है। संग्रहालय के फर्श और फुटपाथ पर दरारें पड़ गई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि तत्काल सुधारात्मक उपायों के बिना, कला प्रेमियों और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र यह अनमोल धरोहर भारी बारिश के दौरान गंभीर खतरे में पड़ सकती है।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के पूर्व निदेशक एलएन अग्रवाल के अनुसार, संग्रहालय की इमारत एक खड़ी ढलान पर बनी है और इसकी नींव ढीली और संकुचित मिट्टी पर टिकी है। उनका कहना है कि ऐसी भूवैज्ञानिक स्थितियों के कारण यह संरचना असमान भू-विस्थापन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। अग्रवाल ने हालांकि इमारत इस वर्ष भारी मानसून का सामना कर पाई, लेकिन ढलान धीरे-धीरे कटती गई और नींव के खतरनाक रूप से करीब पहुंच गई।
उन्होंने कहा, “अस्थायी उपाय के तौर पर, स्थानीय प्रशासन ने जलभराव और कटाव को रोकने के लिए ढलान के खुले किनारे को तिरपाल से ढक दिया है। हालांकि, यह इस तरह की समस्या का न तो स्थायी और न ही पर्याप्त समाधान है।” हाल ही में ली गई तस्वीरों से चिंताजनक स्थिति का पता चलता है। इमारत के पश्चिमी किनारे की मिट्टी धंसने की कगार पर दिखाई दे रही है, जबकि पास के एक टेलीफोन के खंभे में स्पष्ट झुकाव आ गया है और संग्रहालय के फर्श और फुटपाथ में भी दरारें उभर आई हैं, जो नींव के धंसने की शुरुआत का स्पष्ट संकेत देती हैं।
अन्य विशेषज्ञ भी इसी तरह की चिंताओं को दोहराते हुए चेतावनी देते हैं कि निरंतर उपेक्षा से भविष्य में भारी बारिश के दौरान क्षति और भी तेज़ी से बढ़ सकती है। वे इस बात पर ज़ोर देते हैं कि इमारत की सुरक्षा के लिए तत्काल हस्तक्षेप आवश्यक है। अनुशंसित उपायों में नींव को मज़बूत करना और पश्चिमी ढलान को स्थिर करने और आगे कटाव या ढहने से बचाने के लिए सुरक्षात्मक दीवारों का निर्माण करना शामिल है।
कांगड़ा संग्रहालय की क्यूरेटर और प्रभारी ऋतु मलकोटिया का कहना है कि इस मामले को पहले ही अधिकारियों के संज्ञान में लाया जा चुका है। उन्होंने आगे बताया कि भाषा, कला और संस्कृति विभाग के निदेशक ने हाल ही में घटनास्थल का दौरा कर जमीनी हकीकत का जायजा लिया था। उनका दावा है, “विभाग इस संकट का जल्द से जल्द समाधान निकालने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।”
कांगड़ा जिले की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रतिबिंबित करने वाली अमूल्य प्राचीन वस्तुओं और कलाकृतियों के भंडार के रूप में, संग्रहालय का ऐतिहासिक और कलात्मक महत्व बहुत अधिक है। इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना केवल प्रशासनिक जिम्मेदारी ही नहीं, बल्कि कला प्रेमियों की पीढ़ियों द्वारा संजोई गई विरासत को संरक्षित करने का सामूहिक कर्तव्य भी है।

