N1Live Entertainment अमरीश पुरी के निधन से पहले का वो पल, जो पोते वर्धन पुरी को हमेशा रहेगा याद
Entertainment

अमरीश पुरी के निधन से पहले का वो पल, जो पोते वर्धन पुरी को हमेशा रहेगा याद

The moment before Amrish Puri's death, which grandson Vardhan Puri will always remember

अमरीश पुरी के पोते, वर्धन पुरी ने हाल ही में दिग्गज अभिनेता के निधन से कुछ दिन पहले का एक भावनात्मक किस्सा याद किया।

वर्धन पुरी ने इंस्टाग्राम पर अपने दादा-दादी, अमरीश पुरी और उर्मिला की कुछ ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरें शेयर की। इन तस्वीरों को शेयर करते हुए कैप्शन में वर्धन ने किस्सा साझा किया, जो जनवरी 2005 में अमरीश पुरी के निधन से कुछ दिन पहले का था।

उन्होंने बताया कि एक सुबह वह जल्दी उठकर अपने दादा-दादी से जिम के मोजे उधार लेने के लिए उनके कमरे में गए थे, लेकिन वहां जो उन्होंने देखा, वह उन्हें जिंदगी भर याद रह गया।

वर्धन ने आगे बताया कि जब वह अपने दादा-दादी के कमरे में गए, तो उन्होंने देखा कि दोनों सुकून की नींद सो रहे थे। उन्होंने सोते वक्त भी एक-दूसरे का हाथ थामा हुआ था। दोनों की सांसें एक साथ चल रही थीं और उनके चेहरों पर हल्की मुस्कान थी। यह देखकर उन्हें एहसास हुआ कि वह कितने बूढ़े हो गए हैं। उनके दिल में अचानक दादा-दादी को खो देने का एक डर बैठ गया।

वर्धन पुरी ने पोस्ट में दिवंगत दादी के लिए भी प्यार और भावनाएं जाहिर की। उन्होंने लिखा, ”मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं, दादी। आपको गए हुए 8 साल हो गए हैं, लेकिन परिवार का कोई भी ऐसा पल नहीं होता जब हमें आपकी मौजूदगी महसूस न होती हो। आप हर सांस में हमारे साथ हैं। जब मैं सो नहीं पाता, तो आपकी मीठी आवाज में गाई हुई लोरियां सुनाई देती हैं। जब मैं अकेलापन महसूस करता हूं, तो आपकी चूड़ियों की खनक कानों में गूंजती है और जब मुझे सुकून की जरूरत होती है, तो मुझे ऐसा लगता है जैसे आपकी गुलाबी नेलपॉलिश वाले नाखून मेरी पीठ पर धीरे-धीरे सहला रहे हों।”

वर्धन ने कहा, “आपने हमें बहुत प्यार से पाला-पोसा है। दादू हमेशा कहते थे कि आप हमारे परिवार की असली हीरो हैं और आप हमेशा हमारे लिए हीरो ही रहोगी।”

पोस्ट में वर्धन ने लिखा, ”जनवरी 2005 में, जब दादू-दादी दोनों 72 साल के थे और दादू के जाने से कुछ दिन पहले, मैं सुबह जल्दी उनके कमरे में गया था ताकि दादू के जिम के मोजे ले सकूं। लेकिन जो मैंने देखा, उसे देखकर मेरी आंखें भर आईं। दादू-दादी दोनों गहरी नींद में थे, लेकिन उनके हाथ एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए थे। उनके होंठों पर हल्की मुस्कान थी। मुझे एहसास हुआ कि वह अब पहले जितने जवान नहीं रहे और उनको खोने का डर मुझे बहुत ज्यादा डराने लगा। मैं उन्हें बस ऐसे ही देखता रहा।”

वर्धन ने आगे लिखा, ”उस पल मुझे यह एहसास हुआ कि जिंदगी कितनी नाजुक और अनिश्चित होती है, लेकिन प्यार हमेशा रहता है। 1 जुलाई हमारे परिवार के लिए हमेशा एक ऐसा दिन रहेगा जिसमें खुशी और दुख दोनों मिलते हैं। दादी, मैं उम्मीद करता हूं कि मैं आपको हर दिन गर्व महसूस करवा सकूं। आपका राजा बेटा।”

Exit mobile version