विधानसभा चुनाव में वृद्धावस्था पेंशन में बढ़ोतरी का वादा एक दिलचस्प मुद्दा बनकर उभरा है और इसका चुनाव नतीजों पर भी असर पड़ सकता है। इस मुद्दे पर न सिर्फ खूब चर्चा हो रही है, बल्कि बुजुर्ग भी उम्मीद कर रहे हैं कि पेंशन में बढ़ोतरी से उनकी छोटी-मोटी जरूरतें पूरी हो जाएंगी। हालांकि, उन्हें डर है कि चुनाव के बाद यह मुद्दा भी दूसरे मुद्दों की तरह गौण न हो जाए।
वर्तमान में राज्य में वरिष्ठ नागरिकों को 3,000 रुपये प्रतिमाह वृद्धावस्था पेंशन मिल रही है, लेकिन कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि सत्ता में आने पर पेंशन बढ़ाकर 6,000 रुपये प्रतिमाह कर दी जाएगी।
‘अपने आहार में जूस और फल शामिल करूंगा’ कई बार मुझे फल खाने और जूस पीने का मन करता है, लेकिन बेटे से पैसे मांगने में संकोच होता है। अगर पेंशन दोगुनी हो जाए तो मैं भी अपनी डाइट में फल और जूस शामिल कर पाऊंगा, ताकि मैं खुद को सेहतमंद रख सकूं। -सुरेंद्र कुमार, नारनौल
‘आशा है कि यह सिर्फ चुनावी वादा न रह जाए’ हम कांग्रेस द्वारा पेंशन को 6,000 रुपये प्रतिमाह तक बढ़ाने के वादे से उत्साहित हैं, क्योंकि इससे वरिष्ठ नागरिकों को बेहतर जीवन जीने की उम्मीद जगी है, लेकिन यह महज चुनावी वादा बनकर नहीं रहना चाहिए, क्योंकि पिछले चुनावों में जेजेपी ने भी 5,100 रुपये देने की घोषणा की थी, लेकिन सत्ता में आने के बाद भी इसे पूरा नहीं किया। – सतीश, रेवाड़ी शहर
झज्जर के दादनपुर गांव में अन्य बुजुर्गों के साथ हुक्का पीते हुए महेंद्र सिंह (75) कहते हैं कि महंगाई के लिहाज से 3,000 रुपये पेंशन मामूली है, लेकिन 6,000 रुपये तक की बढ़ोतरी की घोषणा से पेंशनभोगियों में खुशी जरूर है, लेकिन साथ ही उन्हें इस बात की चिंता भी है कि यह वादा पूरा होगा या नहीं। हालांकि, वे खुद को यह कहकर तसल्ली देते हैं कि हुड्डा बातों के पक्के आदमी हैं।
महेंद्र के बगल में चारपाई पर बैठे एक अन्य बुजुर्ग जय सिंह (74) खुद को यह कहने से नहीं रोक पाए कि हर पार्टी वरिष्ठ नागरिकों को समाज का मार्गदर्शक बताती है, लेकिन उनके कल्याण के प्रति कोई प्रतिबद्धता नहीं रखती।
उन्होंने सुझाव दिया, “पेंशन को दोगुना करना समय की मांग है, ताकि बुजुर्गों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सके, क्योंकि उनके पास आय का कोई स्रोत नहीं होने के कारण उन्हें अपने बच्चों पर निर्भर रहना पड़ता है। अगर पार्टियां हमें मार्गदर्शक शक्ति के रूप में वर्णित करती हैं, तो उन्हें बिना किसी शर्त के हर बुजुर्ग को उचित वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए।”
नारनौल के सुरेन्द्र कुमार ने बताया कि वह अपनी पेंशन की अधिकांश राशि अपने घर आने वाले रिश्तेदारों व अन्य लोगों के आतिथ्य पर खर्च कर देते थे।
उन्होंने कहा, “कई बार मुझे फल खाने और जूस पीने का मन करता है, लेकिन मैं अपने बेटे से पैसे मांगने में झिझकता हूं। अगर पेंशन दोगुनी हो जाए, तो मैं भी अपने आहार में फल और जूस शामिल कर पाऊंगा, ताकि मैं खुद को स्वस्थ रख सकूं।”
पेंशन में बढ़ोतरी के चुनावी वादे पर न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी चर्चा हो रही है।
रेवाड़ी शहर के सतीश ने कहा, “हम कांग्रेस के पेंशन को बढ़ाकर 6,000 रुपये प्रति माह करने के वादे से उत्साहित हैं क्योंकि इससे वरिष्ठ नागरिकों को बेहतर जीवन जीने की उम्मीद जगी है, लेकिन यह केवल चुनावी वादा नहीं होना चाहिए क्योंकि पिछले चुनावों में जेजेपी ने भी घोषणा की थी कि वह 5,100 रुपये देगी, लेकिन सत्ता में आने के बाद भी वह इसे पूरा करने में विफल रही।”