December 11, 2025
National

लोकसभा में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयकों की जांच कर रही समिति का कार्यकाल बढ़ाया गया

The tenure of the committee examining the ‘One Nation, One Election’ Bills in the Lok Sabha has been extended.

लोकसभा ने गुरुवार को उस संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के कार्यकाल को बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जो लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित करने से जुड़े विधेयकों की जांच कर रही है। जेपीसी के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने संविधान के 129वें संशोधन विधेयक, 2024 और केंद्रशासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 की जांच अवधि को 2026 के बजट सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन तक बढ़ाने का प्रस्ताव सदन में रखा। लोकसभा ने इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया।

पिछले वर्ष दिसंबर में गठित इस समिति ने अब तक कई दौर की बैठकों में संवैधानिक विशेषज्ञों, अर्थशास्त्रियों और विधि आयोग के अध्यक्ष दिनेश महेश्वरी सहित कई विशेषज्ञों से सुझाव लिए हैं।

पीपी चौधरी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में भाजपा सांसद संबित पात्रा, अनुराग ठाकुर, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, सुखदेव भगत, और समाजवादी पार्टी सांसद धर्मेंद्र यादव शामिल हुए।

इस बैठक में राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी समिति के सामने अपनी राय रखी। सिब्बल ने कथित तौर पर ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ प्रणाली का विरोध किया और कहा कि यह मॉडल संविधान की मूल संरचना को प्रभावित करेगा, संघीय ढांचे को कमजोर करेगा और राज्यों के अधिकारों का हनन कर सकता है। क्योंकि संसदीय समिति की कार्यवाही गोपनीय होती है, इसलिए बैठक में हुई चर्चाओं का विस्तृत विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया।

पीपी चौधरी ने बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सिब्बल ने कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब दिए और बहुत रचनात्मक चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि समिति की अगली बैठक 17 दिसंबर को होगी।

चौधरी ने कहा, “यह एक बड़ा चुनाव सुधार है। वन नेशन, वन इलेक्शन पर सभी हितधारकों को सुनना जरूरी है। समिति का हर सदस्य देशहित में काम कर रहा है।”

दोनों विधेयक, जिन्हें केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दिसंबर 2024 में पेश किया था, बाद में संसदीय समिति को भेज दिए गए थे। इनका मुख्य उद्देश्य लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव चक्र को एकसाथ लाना है। इसके लिए उन विधानसभा कार्यकालों को छोटा किया जा सकता है जो एक विशेष लोकसभा अवधि के बाद चुनी जाती हैं ताकि दोनों का कार्यकाल एक साथ समाप्त हो सके।

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