इन पुतलों की कारीगरी इसे अद्वितीय बनाती है। अरशद और अमजद के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के गंगोह से आए मुस्लिम कलाकारों ने अपने 24 सदस्यों के साथ मिलकर 40 दिनों से ज़्यादा समय तक अथक परिश्रम करके ये पुतले तैयार किए हैं। वे तीसरी पीढ़ी के हैं जो पुतले तैयार करने करनाल आ रहे हैं। उन्होंने रावण (65 फीट), मेघनाथ और कुंभकरण (दोनों 55 फीट) के पुतले तैयार किए हैं।
नीले रंग में रंगा रावण का पुतला मुख्य आकर्षण है, जिसके मुख से विशेष प्रभाव वाली अग्नि निकलती है, जो इस तमाशे में रोमांच भर देती है। इसके अलावा, 55 फुट के गुलाबी मेघनाथ और 55 फुट के केसरिया-पीले कुंभकरण को भी उतनी ही भव्यता से तैयार किया गया है। अंतिम रूप देते हुए अरशद ने कहा, “हर साल हम कुछ नया जोड़ने की कोशिश करते हैं। इस बार, हमने पुतलों के अंदर विशेष अग्नि प्रभाव और घूमने वाली आतिशबाजी डिज़ाइन की है ताकि यह शो और भी शानदार बन सके।”
ये कारीगर न केवल करनाल के लिए, बल्कि नीलोखेड़ी, तरौरी, घिर और आस-पास के गाँवों के लिए भी काम कर रहे हैं, जहाँ उनके पुतले मुख्य आकर्षण होंगे। अमजद ने कहा, “यह काम हमारी विरासत है। मेरे पिता और दादाजी ने ये पुतले बनाए थे और अब हम इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। हमारे शिल्प के बिना दशहरा अधूरा है।”
दशहरा मैदान पर लंका की एक भव्य प्रतिकृति भी तैयार की जा रही है, जिसे ‘लंका दहन’ अनुष्ठान के दौरान आग के हवाले कर दिया जाएगा।
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