July 17, 2025
National

महादेव का अद्भुत संसार, जहां शिवलिंग का समुद्र करता है जलाभिषेक, एक ऐसा भी मंदिर जहां बिना सागर की इजाजत के नहीं कर सकते दर्शन

The wonderful world of Mahadev, where the sea performs Jalabhishek of Shivling, there is a temple where one cannot have darshan without the permission of the sea

देवों के देव महादेव का संसार बड़ा निराला है। देश के हर कोने में स्थित महादेव के ज्योतिर्लिंग के साथ ही महादेव के कई ऐसे शिवलिंग भी हैं, जिनके चमत्कार के बारे में जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। ऐसे में गुजरात में महादेव का एक ऐसा धाम है, जहां समुद्र के किनारे चट्टान के नीचे 5 शिवलिंग विराजमान हैं और अरब सागर इन शिवलिंग का लगातार अभिषेक करता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इन शिवलिंग को पांडवों ने स्थापित किया था।

गुजरात के फुदम गांव में स्थित गंगेश्वर महादेव का यह मंदिर, जिसके बारे में मान्यता है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान इस शिवलिंग को स्थापित किया था। यह गुजरात के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। यहां महादेव का अभिषेक आठों प्रहर समुद्र खुद करता है।

समुद्र के किनारे कटी हुई चट्टानों से बनी गुफा के भीतर यह शिवलिंग स्थित है। यह एक गुफा मंदिर है, जहां हर कुछ समयांतराल के बाद समुद्र की लहरें आकर शिवलिंग का अभिषेक कर वापस लौट जाती हैं। इस मंदिर में इसके साथ भगवान गणेश, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की भी मूर्ति मौजूद है। इन पांचों शिवलिंग के बारे में यह भी मान्यता है कि यह स्वयंभू हैं। इस मंदिर को यहां पंच शिवलिंग मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, इसे सीशोर मंदिर के नाम से भी ख्याति प्राप्त है।

गुजरात के फुदम गांव से कुछ किलोमीटर दूर यह मंदिर एक छोटे से द्वीप दीव में स्थित है। दीव एक छोटा सा द्वीप है, जो गुजरात के सौराष्‍ट्र प्रायद्वीप के दक्षिणी सिरे पर स्थित है।

वहीं, गुजरात के भावनगर में कोलियाक तट से तीन किलोमीटर अंदर अरब सागर में निष्कलंक महादेव का मंदिर स्थित है। इस मंदिर में अरब सागर की लहरें रोज पांच शिवलिंग का जलाभिषेक करती हैं।

मान्यता है कि इस शिवलिंग के पास में ही एक कुंड है, जिसमें अक्षय तृतीया के दिन स्वयं गंगा जी प्रकट होती हैं। इस मंदिर में महादेव के दर्शन के लिए आपको इंतजार करना पड़ता है। यहां समुद्र दोपहर एक बजे से रात 10 बजे तक महादेव के दर्शन के लिए भक्तों को रास्ता देता है। यानी भक्त इतने ही समयावधि में यहां महादेव का दर्शन कर सकते हैं। इसके बाद शिवलिंग के दर्शन आप नहीं कर सकते हैं।

समुद्र में जैसे-जैसे ज्वार बढ़ता है, शिवलिंग डूब जाता है और मंदिर का पताका और स्तंभ ही केवल नजर आता है। दर्शनार्थियों को महादेव के दर्शन के लिए समुद्र में पैदल चलकर जाना होता है। यहां समुद्र के बीच एक चबूतरे पर हर तरफ एक-एक कर पांच शिवलिंग हैं और एक छोटा सा तालाब है, जिसे पांडव तालाब भी कहते हैं। श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना से पहले इसी तालाब में आचमन करते हैं।

यहां के बारे में मान्यता है कि अगर भक्त किसी परिजन की चिता की राख को शिवलिंग पर लगाकर यहां प्रवाहित कर दें तो उनके परिजन को मुक्ति मिल जाती है। इस मंदिर को भी महाभारत के काल से ही जोड़ा जाता है। इन 5 शिवलिंग के बारे में पौराणिक मान्यता है कि यहां महादेव ने पांडवों को लिंग रूप में दर्शन दिए थे।

वहीं, शिव का एक ऐसा ही अद्भुत संसार गुजरात के वडोदरा के पास अरब सागर में स्थित है। गुजरात के भरूच जिले में स्थित यह मंदिर समुद्र की तेज लहरों में अपने आप गायब हो जाता है और कुछ देर बाद खुद बाहर आ जाता है। इसका नाम स्तंभेश्वर महादेव मंदिर है। इसमें चार फुट ऊंचा और दो फुट घेरे वाला शिवलिंग स्थापित है। इस मंदिर में स्थित शिवलिंग को देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे।

इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां महादेव का जलाभिषेक करने के लिए सागर उनके चरण स्पर्श कर अनुमति मांगते हैं। जहां सागर महादेव को अर्घ्य देने के लिए शाम को स्वयं शिव के द्वार पर पहुंचते हैं। यह मंदिर पूरे दिन में दो बार जलमग्न हो जाता है और तब मंदिर के शिखर पर फहरा रहे पताका के अलावा कुछ भी नजर नहीं आता और तब किसी को महादेव के दर्शन की अनुमति नहीं मिलती है।

इस मंदिर को पुराणों के अनुसार, सतयुग का बताया जाता है। इस मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण में भी है। वहीं, शिव पुराण के रुद्र संहिता में भी इस मंदिर का वर्णन मिलता है।

स्कंद पुराण के अनुसार इस मंदिर में स्थित शिवलिंग महादेव के साथ से ही है, मतलब बात युगों पुरानी है। इसको लेकर मान्यता है कि इस मंदिर को भगवान कार्तिकेय ने स्थापित किया था और यह मुनियों की तपस्थली है।

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