N1Live National जिस युवा मोदी ने आपातकाल का विरोध किया, उसी व्यक्ति ने 2014 में परिवारवादी राजनीति को उखाड़ फेंका : अमित शाह
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जिस युवा मोदी ने आपातकाल का विरोध किया, उसी व्यक्ति ने 2014 में परिवारवादी राजनीति को उखाड़ फेंका : अमित शाह

The young Modi who opposed the Emergency is the same person who uprooted dynastic politics in 2014: Amit Shah

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को आपातकाल के दौरान युवा संघ प्रचारक के तौर पर (अब प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी के कार्यों का जिक्र किया और कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जिस युवा नरेंद्र मोदी ने गांव-गांव घूमकर परिवारवाद स्थापित करने के लिए लगाए आपातकाल का विरोध किया, उसी व्यक्ति ने 2014 में परिवारवादी राजनीति को उखाड़ फेंका।

नई दिल्ली में ‘संविधान हत्या दिवस’ के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में आपातकाल विरोधी आंदोलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुभवों के संकलन ‘द इमरजेंसी डायरिज: इयर्स दैट फोर्ज्ड एक लीडर’ नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव, दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे।

पुस्तक विमोचन के बाद अपने संबोधन में गृह मंत्री ने कहा कि इस पुस्तक में आपातकाल के दौरान एक युवा संघ प्रचारक के तौर पर नरेंद्र मोदी के कार्यों का जिक्र है कि किस तरह जयप्रकाश नारायण और नाना जी देशमुख के नेतृत्व में 19 माह तक चले आंदोलन में भूमिगत रहकर संघर्ष किया, मीसा कानून के तहत जेल में बंद लोगों के घर गए और उनके परिजनों से बात की और उनके इलाज की व्यवस्था की। गुप्त रूप से प्रकाशित होने वाले कई अखबारों को बाजारों, चौराहों, विद्यार्थियों और महिलाओं में बांटने का काम किया और गुजरात में 24-25 साल के युवा के तौर पर नरेंद्र मोदी ने संघर्ष का नेतृत्व किया।

उन्होंने कहा कि मोदी उस वक्त भूमिगत रह कर कभी साधु, कभी सरदार जी, कभी हिप्पी, कभी अगरबत्ती बेचने वाले या कभी अखबार बेचने वाले का काम करते थे।

अमित शाह ने कहा कि परिवारवाद को प्रस्थापित करने के लिए लगाई गई इमरजेंसी के समय जिस 25 साल के युवा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के तानाशाही विचारों का विरोध किया, घर-घर, गांव-गांव और शहर-शहर घूमकर विरोध किया, उसी व्यक्ति ने 2014 में परिवारवाद को पूरे देश से जड़ से उखाड़ कर फेंक किया। उन्होंने कहा कि मीडिया की सेंसरशिप, सरकार का दमन, संघ और जनसंघ का संघर्ष, आपातकालीन पीडितों का वर्णन और तानाशाही से जनभागीदारी तक के रूप में इस किताब में पांच अध्याय हैं।

गृह मंत्री ने देश के युवाओं से अपील की कि वह इस पुस्तक को जरूर पढ़ें ताकि उन्हें यह पता चल सके कि जिस युवा ने अपने शुरुआती दिनों में जिस प्रकार से तानाशाही के खिलाफ संघर्ष किया, वही युवा इस देश में लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने हैं।

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