बेंगलुरु, 31 अक्टूबर । रिटायर्ड नौसेना अधिकारी जीजे सिंह ने वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) योजना की 10वीं वर्षगांठ पर अपने विचार साझा किये। उन्होंने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा कि 2014 से पहले ओआरओपी एक सपना था, लेकिन मोदी सरकार के तहत यह साकार हुआ। उनका मानना है कि पिछले एक दशक में पूर्व सैनिकों के जीवन में व्यापक परिवर्तन आया है।
उन्होंने कहा कि 1984 से 2014 तक का हमारा संघर्ष 30 वर्षों का था। उस समय हमारी मांगों को निरंतर लटकाया जाता रहा। लेकिन, 2014 में मोदी सरकार ने हमें इस स्थिति से बाहर निकाला। आज, हम इस अवसर को सेलिब्रेट कर रहे हैं। उन्होंने ओआरओपी योजना के तहत पूर्व सैनिकों को मिलने वाले लाभों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि जब मैं देखता हूं कि 2014 से पहले हमें जो पेंशन मिल रही थी और आज जो मिल रही है, तो इसमें जमीन आसमान का अंतर है। उन्होंने उल्लेख किया कि अन्य लाभों के साथ-साथ महंगाई भत्ता (डीए) और ईसीएचएस की स्ट्रीमलाइनिंग ने भी पूर्व सैनिकों के जीवन को बेहतर बनाया है।
उन्होंने यह भी कहा कि ओआरओपी योजना के तहत लाभ केवल अधिकारियों के लिए ही नहीं होना चाहिए, बल्कि गैर-कमीशन अधिकारियों और अन्य जवानों के लिए भी होना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे युवा जवानों की पेंशन और सुविधाएं बढ़ें, क्योंकि वे अपनी जान को लाइन ऑफ फायर में डालते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि अधिकारी और जवानों के बीच के इस गैप को कम करना आवश्यक है। ऑफिसर्स को काफी कुछ मिल चुका है, लेकिन जवानों के लिए अभी और प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने सरकार से अपील की कि जवानों और उनके परिवारों की भलाई पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। मैं यह देखना चाहता हूं कि हमारे नॉन कमीशन फौजी और लाइन ऑफ फायर झेलने वाले जवानों की पेंशन और अन्य सुविधाओं में सुधार हो। यह उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
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