लखनऊ, 29 जून एनडीए सरकार में शामिल अपना दल (सोनेलाल) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर भर्तियों में आरक्षण का मुद्दा उठाया गया है।
पत्र में लिखा है कि प्रदेश सरकार की साक्षात्कार वाली नियुक्ति में ओबीसी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को यह कहा जा रहा है कि वह योग्य नहीं हैं। इसके जरिए उनको नियुक्ति से रोका जा रहा है। पदों को अनारक्षित घोषित करने की व्यवस्था पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए। अनुप्रिया पटेल के इस पत्र के बाद सियासत गरमा गई है।
निषाद पार्टी के अध्यक्ष और योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि अनुप्रिया पटेल के पत्र का जवाब वही दे सकती हैं लेकिन आरक्षण के मुद्दे को जिस सरकार ने सही से हैंडल नहीं किया, उसे नुकसान उठाना पड़ा। सपा, कांग्रेस और बसपा को भी इसका नुकसान उठाना पड़ा है। आरक्षण का मुद्दा अगर सही से उठाया नहीं गया तो हमें भी नुकसान उठाना पड़ेगा। लोकसभा चुनाव में हमें इसके कारण नुकसान उठाना पड़ा। निषाद आरक्षण को सीएम योगी ने उठाया है। सरकार आज निषाद के लोगों की है तो उनकी सुनवाई पहले होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि आरक्षण का मुद्दा इस चुनाव में उठा। निषादों को लगा हमारा आरक्षण कहां गया और इसलिए वो वोट डालने नहीं गए। हम लोग गांव में क्या कहेंगे। निषाद पार्टी के मुद्दों पर आवाज क्यों नहीं उठाई जा रही है। भाजपा सरकार आरक्षण के मुद्दे पर ध्यान दे रही है, लेकिन इस पर भी अब विसंगति दूर करनी चाहिए। हमारी एक ही मांग है कि निषाद समाज के लोगों की आवाज उठाई जाए। निषाद लोगों के लिए चर्चा होनी चाहिए, राजनीति नहीं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सत्तर साल में निषादों की आवाज नहीं सुनी। प्रधानमंत्रा राजीव गांधी ने कहा था कि निषादों की आवाज सुनी जानी चाहिए, लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई। आज के समय में जो निषादों की आवाज नहीं सुनेगा, उसे नुकसान उठाना पड़ेगा। देख लीजिए कांग्रेस कहां से कहां आ गई। निषादों ने राम को पार लगाया और अंग्रेजों के खिलाफ भी आवाज उठाई। कांग्रेस ने कोई कार्रवाई नहीं की। सभी जातियां अब जाग गई हैं।