रांची, 11 अक्टूबर । झारखंड में राष्ट्रपति शासन की भाजपा की मांग पर सियासत गरमा गई है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने जहां राज्यपाल को पत्र लिखकर राज्य में संवैधानिक मशीनरी के ध्वस्त होने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा करने का अनुरोध किया है, वहीं सत्ताधारी गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी झामुमो ने भाजपा को सीधे चुनाव मैदान में आकर आजमाने की चुनौती दी है। झामुमो ने कहा है कि भाजपा के नेता केंद्रीय जांच एजेंसियों के प्रवक्ता की तरह काम कर रहे हैं।
भाजपा ने कहा, राज्य में मनी लॉन्ड्रिंग एवं भ्रष्टाचार की जांच कर रही एजेंसियां कार्रवाई के लिए वर्ष 2022 से लेकर अब तक राज्य सरकार को कई पत्र लिख चुकी हैं, लेकिन राज्य सरकार और उसके अफसर इन एजेंसियों की अनुशंसाओं और पत्रों को नजरअंदाज कर रही हैं। झारखंड सरकार के मुख्य सचिव के कार्यालय में भ्रष्टाचार के मामलों में उच्च सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के अनुरोध को छोड़कर ऐसे दस से अधिक मामले लंबित हैं। जांच एजेंसियों को न तो कोई जवाब दिया गया है और न ही कोई कार्रवाई की गई है, खासकर उन मामलों में जहां एजेंसियों द्वारा उपर्युक्त अनुरोध के साथ अनेक सबूत उपलब्ध कराए गए हैं।
इधर मरांडी की इस मांग पर पलटवार करते हुए झामुमो के महासचिव और प्रवक्ता विनोद पांडेय ने कहा है कि भाजपा के नेता आजकल केंद्रीय एजेंसियों के प्रवक्ता बनकर घूम रहे हैं। बीते चुनाव में जनता ने इन्हें नकार दिया था। बाबूलाल मरांडी ने भाजपा के विरोध में वोट मांगकर चुनाव जीता और भाजपा में ही शामिल हो गये। वे रोज राज्य सरकार को अपदस्थ करने का सपना देख रहे हैं। उनका राष्ट्रपति शासन की दलीलें देना साबित करता है कि संवैधानिक प्रक्रिया में उनका विश्वास नहीं है। एक वर्ष में राज्य में चुनाव होनेवाले हैं। जनता की अदालत में वे दो-दो हाथ कर लें। इससे उन्हें अपनी झूठी लोकप्रियता का पता चल जायेगा। बाबूलाल मरांडी जब से भाजपा में गए हैं तबसे वे मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। उन्हें हेमंत फोबिया है, इसलिए वे राज्य का दौरा कर अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहे हैं। भाजपा संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग अपने हित में कर रही है। पर भाजपा का चुनी हुई सरकार को अपदस्थ करने का मंसूबा कभी सफल नहीं होगा।
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