June 26, 2025
Entertainment

सीखने की कोई उम्र नहीं होती : आशुतोष गोवारिकर

There is no age limit for learning: Ashutosh Gowariker

फिल्म निर्माता-निर्देशक आशुतोष गोवारिकर की मराठी फिल्म ‘अता थंबायचा नाय’ ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया, बल्कि फिल्म को समीक्षकों से भी खूब सराहना मिल रही है। शानदार थीम पर फिल्म बनाने वाले गोवारिकर का मानना है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती है, बस आगे बढ़ने की चाह होनी चाहिए।

हालिया रिलीज फिल्म दो बुजुर्गों की प्रेरणादायक कहानी है, जो सामाजिक बाधाओं को तोड़ते हुए अपनी अधूरी पढ़ाई को पूरा करते हैं। गोवारिकर ने इस फिल्म के जरिए एक खास मैसेज दिया है कि “सीखने की कोई उम्र नहीं होती।”

‘लगान’ और ‘जोधा अकबर’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म देने वाले गोवारिकर ने बताया कि ‘अता थंबायचा नाय’ को बॉक्स ऑफिस और समीक्षकों से खूब प्यार मिला, जो उनके लिए काफी मायने रखता है।

उन्होंने कहा, “यह फिल्म दर्शकों और समीक्षकों दोनों को पसंद आई है, जो बहुत रेयर है। मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि इस फिल्म के जरिए असली हीरोज उदय शिरुरकर और नीलेश माली के असाधारण काम को सबके सामने ला सका। यह फिल्म उनकी कहानी को दुनिया तक पहुंचाने का एक माध्यम बनी। हमारी कोशिश थी कि फिल्म के जरिए हम सोशल मैसेज और एंटरटेनमेंट दोनों को बैलेंस कर सकें, जो हम करने में सफल भी रहे।”

गोवारिकर का मानना है कि सिनेमा का उद्देश्य केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह ऐसा हो कि देखने के बाद दर्शक कुछ नया सोचने और सीखने के लिए प्रेरित हो सकें।

उन्होंने कहा, “सिनेमा को मनोरंजन के साथ-साथ एक संदेश भी देना चाहिए, चाहे वह सामाजिक हो, नैतिक हो या जीवन से जुड़ा कोई सबक। दर्शक जब सिनेमाघर से बाहर निकलें, तो फिल्म का संदेश उनके दिमाग में रहना चाहिए। ‘अता थंबायचा नाय’ का मुख्य संदेश यही है कि अगर मन में जुनून और इच्छा हो, तो उम्र कभी बाधा नहीं बनती।”

गोवारिकर ने अपने अनुभव का उदाहरण देते हुए कहा, “मैं आज भी पियानो सीखना चाहता हूं और इसके लिए क्लासेज शुरू करने वाला हूं। यह जरूरी नहीं कि मैं किसी कॉन्सर्ट में परफॉर्म करूं, लेकिन यह मेरी इच्छा को पूरा करने का एक तरीका है। यह फिल्म दर्शकों को प्रेरित करती है कि वे अपने सपनों को उम्र की परवाह किए बिना पूरा करें।”

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