बेंगलुरु, 20 अगस्त । कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूमि आवंटन घोटाला मामले में मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। अब इसे लेकर सियासत तेज हो गई है।
कर्नाटक सरकार के श्रम मंत्री संतोष लाड ने सोमवार को कहा कि राज्य के राज्यपाल एक राजनीतिक हथियार के रूप में काम कर रहे हैं। राज्यपाल को बिना किसी कानूनी आधार के राजनीतिक रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है। राजनीति से प्रेरित होकर राज्यपाल ने यह आदेश दिया है। सिद्दारमैया के 40 साल के करियर में कोई काला दाग नहीं है। उन्होंने सवाल किया, “किस आधार पर विपक्ष मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की मांग कर रहा है? इस्तीफे का कोई आधार नहीं है। भाजपा लोकतंत्र में विश्वास नहीं करती हैं।”
मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने कहा है कि विपक्षी भाजपा और जनता दल (एस) एमयूडीए भूमि आवंटन के संबंध में झूठे आरोप लगाकर उनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।
दरअसल, मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन ने कुछ जमीन गिफ्ट के तौर पर दी थी। यह जमीन मैसूरु जिले के कैसारे गांव में स्थित है। बाद में इस जमीन को मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) ने अधिग्रहित कर लिया, और इसके बदले पार्वती को विजयनगर इलाके में 38,223 वर्ग फीट का प्लॉट दे दिया।
आरोप है कि दक्षिण मैसूरु के संभ्रांत इलाके में मौजूद विजयनगर के प्लॉट की कीमत कैसारे गांव की उनकी मूल जमीन से बहुत ज्यादा है। इसी को लेकर सिद्दारमैया भ्रष्टाचार के आरोप में घिर गए हैं।