January 23, 2025
National

सीएसआर फंड के सदुपयोग के लिए यूपी से बेहतर कोई जगह नहीं : अनिल राजभर

There is no better place than UP for proper utilization of CSR funds: Anil Rajbhar

लखनऊ, 21 फरवरी। ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी (जीबीसी 4.0) के दूसरे दिन मंगलवार को कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिल्टी कॉन्क्लेव (सीएसआर) का आयोजन हुआ।

इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कॉन्क्लेव में योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर, राज्यमंत्री असीम अरुण, प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने विभिन्न कंपनियों के सीएसआर प्रमुखों से संवाद किया। इस दौरान सरकार की ओर से कंपनियों को उनके सीएसआर फंड का उपयोग रचनात्मक कार्यों में करने की अपील की गई।

कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री के आशीर्वाद, मुख्यमंत्री के संकल्प और अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के प्रयास से यूपी के विकास की नई गाथा लिख दी गई है। किसी ने कल्पना नहीं की थी कि हम इस तरह के इवेंट करेंगे। लोग कहते थे कि निवेश का प्रस्ताव मिलना और उसका धरातल पर उतरना दोनों अलग-अलग बात है। मगर यूपी में अब 10 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश धरातल पर उतर गया है।

उन्होंने कहा कि सीएसआर फंड के सदुपयोग के लिए यूपी से बेहतर कोई जगह नहीं है। यूपी में 8.39 करोड़ श्रमिक पंजीकृत हैं। सीएसआर फंड को खर्च करने के लिए बहुत बड़ी संभावना यूपी में है।

राज्यमंत्री असीम अरुण ने कहा कि सीएसआर डबल इंजन सरकार में गार्ड के डिब्बे की तरह है, जो ये सुनिश्चित करता है कि कोई डिब्बा पीछे ना छूट जाए। समाज का कोई तबका विकास से वंचित न रहे, यही सीएसआर के मूल में है। वस्तुत: ये समाज के लिए अच्छी दिशा दिखाने वाला प्रयास है। उन्होंने विभिन्न कंपनियों के सीएसआर फंड से किए कार्यों की चर्चा करते हुए उन्हें अन्य कंपनियों के लिए मॉडल बताया।

मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि सीएसआर के मूल में हमारी सनातन संस्कृति के विचार हैं, जो सामूहिकता पर बल देते हैं। कोरोना काल में हमने देश की सामूहिक शक्ति का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देखा है। 2015 से 2023 के बीच में प्रदेश में दो लाख करोड़ का सीएसआर फंड प्राप्त हुआ है। आज यूपी देश की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है।

उन्होंने बताया कि आने वाले समय में उत्तर प्रदेश सीएसआर समिट का आयोजन किया जाएगा, जिसमें कंपनियों के सीएसआर प्रमुखों की भागीदारी होगी। सीएसआर कंपनियों की ओर से दान नहीं, बल्कि बड़ी जिम्मेदारी है।

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