हरियाणा कारागार विभाग ने आईपीएस वाई पूरन कुमार आत्महत्या मामले के गवाह एएसआई सुशील कुमार को रोहतक जेल में धमकाने के आरोपों को खारिज कर दिया है। एएसआई आईपीएस अधिकारी के स्टाफ का हिस्सा था।
सुशील कुमार की पत्नी सोनी देवी द्वारा रोहतक की सुनारिया जेल में उन्हें धमकियाँ मिलने का आरोप लगाने के बाद, उन्हें 4 नवंबर को अंबाला जेल स्थानांतरित कर दिया गया और जाँच शुरू कर दी गई। सूत्रों के अनुसार, सुशील के वार्ड में आठ-नौ लोग मौजूद थे। जाँच में पता चला है कि टीवी का वॉल्यूम बढ़ाने को लेकर बहस ज़रूर हुई थी, लेकिन उन्हें कभी कोई धमकी नहीं दी गई।
जांच रिपोर्ट से अवगत जेल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जांच और कैदियों के बयान दर्ज करने के बाद आरोपों को खारिज कर दिया गया है।
सुशील को रोहतक के अर्बन एस्टेट थाने में 6 अक्टूबर को दर्ज एक जबरन वसूली की एफआईआर के बाद गिरफ्तार किया गया था। उन पर एक शराब ठेकेदार से 2.5 लाख रुपये प्रति माह की मांग करने का आरोप था। 7 अक्टूबर को पूरन कुमार ने चंडीगढ़ स्थित अपने आवास पर आत्महत्या कर ली। उनकी पत्नी, आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने चंडीगढ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि एफआईआर उनके पति के खिलाफ झूठे सबूत गढ़कर उन्हें फंसाने की साजिश का हिस्सा है। उन्होंने इसके लिए तत्कालीन डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के तत्कालीन एसपी नरेंद्र बिजारनिया को जिम्मेदार ठहराया।
पूरन कुमार के सुसाइड नोट और अमनीत पी कुमार की शिकायत के आधार पर कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। 10 अक्टूबर को चंडीगढ़ के डीजीपी ने आत्महत्या की जांच के लिए छह सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने सुशील का बयान दर्ज किया था।
सुशील की पत्नी ने एक पत्र के माध्यम से आरोप लगाया था कि जेल के अंदर उन्हें धमकियाँ दी जा रही हैं और उनकी जान को खतरा है। यह पत्र अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह), डीजीपी जेल, जिला एवं सत्र न्यायाधीश, रोहतक, एसआईटी, चंडीगढ़ और अधीक्षक (रोहतक जेल) को संबोधित था।


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