विभिन्न ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर, विभिन्न विभागों के कर्मचारियों ने बुधवार को करनाल शहर में श्रम संहिता वापस लेने, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण न करने, सभी संविदा और योजना-आधारित कर्मचारियों को नियमित करने, पुरानी पेंशन योजना बहाल करने आदि मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारियों द्वारा ब्लॉक स्तर पर भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शन किए गए। इस बीच, देशव्यापी हड़ताल का जिले में कोई खास असर नहीं पड़ा।
करनाल शहर में सर्व कर्मचारी संघ, सीआईटीयू व अन्य के बैनर तले कर्मचारियों ने सेक्टर 12 फाउंटेन पार्क से लघु सचिवालय तक विरोध मार्च निकाला।
सर्व कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष सुशील गुर्जर ने कहा कि केंद्र सरकार ने नए श्रम संहिताओं का प्रस्ताव रखा है, जो कर्मचारियों के हितों के विरुद्ध हैं। उन्होंने कहा, “हम सरकार से मांग करते हैं कि इन संहिताओं को लागू न किया जाए।”
उन्होंने और अन्य प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने सरकार से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सार्वजनिक सेवाओं का निजीकरण रोकने की भी मांग की। गुज्जर ने कहा, “कर्मचारियों और जनता के कल्याण के लिए इन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण रोका जाना चाहिए।”
उन्होंने इस मुद्दे पर भी प्रकाश डाला कि आंगनवाड़ी, आशा और मध्याह्न भोजन कार्यकर्ताओं सहित सभी आउटसोर्स और संविदा कर्मचारियों को स्थायी रोजगार का दर्जा और लाभ प्रदान करते हुए नियमित किया जाना चाहिए।