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राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मंत्री, सांसद और विधायकों की तर्ज पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के लिए भी हो वेतन की संवैधानिक व्यवस्था

There should be a constitutional system of salary for local public representatives on the lines of President, Vice President, Ministers, MPs and MLAs.

नई दिल्ली, 5 दिसंबर । भाजपा राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्य सभा सांसद राधा मोहन दास अग्रवाल ने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मंत्री, सांसद और विधायकों की तर्ज पर ग्राम प्रधानों से लेकर नगर निगम के महापौरों तक सभी स्थानीय जनप्रतिनिधियों के लिए भी वेतन की संवैधानिक व्यवस्था करने की मांग की है।

अग्रवाल ने मंगलवार को राज्य सभा में शून्य काल में ग्राम प्रधानों से लेकर नगर निगम के महापौरों तक संवैधानिक और वैधानिक रूप में वेतन, भत्ता और पेंशन दिए जाने का मुद्दा उठाते हुए संविधान संशोधन करके इसकी संवैधानिक व्यवस्था करने की मांग की।

भाजपा सांसद अग्रवाल ने सदन में कहा कि समान काम के लिए समान वेतन प्राप्त करना जनप्रतिनिधियों सहित सभी नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है। लेकिन, भारत में स्वयं जनप्रतिनिधियों में ही दो वर्ग बना दिए गए हैं। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, देश और सभी राज्यों के मंत्रियों, सभी सांसदों तथा सभी विधायकों के लिए संवैधानिक प्रावधानों के तहत बाकायदा कानून बनाकर वेतन, भत्ते तथा पेंशन की व्यवस्था की गई है। लेकिन, यह दुखद है कि ग्राम प्रधानों से लेकर नगर निगमों के महापौर तक किसी के लिए भी संवैधानिक रुप से वेतन, भत्ते और पेंशन की व्यवस्था नहीं की गई है।

उन्होंने कहा कि 1991-92 में संविधान के 73-74वें संशोधन का ढिंढोरा तो बहुत पीटा गया, तथाकथित रूप से अधिकार भी दिए गए, लेकिन जनप्रतिनिधियों का आर्थिक सशक्तिकरण नहीं किया गया। आज लाखों की संख्या में ये जनप्रतिनिधि अपने-अपने राज्यों के मुख्यमंत्री तथा ब्यूरोक्रेसी की कृपा पर निर्भर हैं। जो अन्य जनप्रतिनिधियों के संवैधानिक अधिकार हैं, वह इन जमीनी स्तर के जनप्रतिनिधियों के लिए ब्यूरोक्रेसी की दया पर निर्भर हैं जो राजनीतिक रुप से उन्हें कमजोर करती है।

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