नई दिल्ली, 17 जनवरी । ‘तापस ड्रोन’ के डिजाइन में सुधार किया जाएगा। तापस ड्रोन डीआरडीओ की एक महत्वपूर्ण परियोजना है। यह ड्रोन 30 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान नहीं भर सका था। इस महत्वपूर्ण मानक पर खरा न उतरने के बावजूद तापस ड्रोन परियोजना पर डीआरडीओ काम जारी रखेगा।
डीआरडीओ यानी रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने हाल ही में रक्षा बलों के साथ मिलकर तापस ड्रोन का परीक्षण किया था। इस टेस्ट ट्रायल में ‘तापस ड्रोन’ 28 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ा। जानकारी के मुताबिक ‘तापस ड्रोन’ 18 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भरने में भी कामयाब रहा है।
हालांकि, तय किए गए मानकों के अनुरूप यह प्रदर्शन नहीं कर सका। जानकारी के मुताबिक टेस्ट ट्रायल में इस भारतीय ड्रोन ने चित्रदुर्ग में हवाई क्षेत्र से उड़ान भरी। इसके उपरांत नौसेना के अधिकारियों ने इसे अरब सागर के ऊपर उड़ाकर संचालित किया।
विशेषज्ञों ने बताया कि डीआरडीओ द्वारा विकसित तापस ड्रोन को उड़ान भरने के लिए लंबे रनवे की आवश्यकता बिल्कुल नहीं है। तापस ड्रोन को लगातार 24 घंटे और 30 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ाने का लक्ष्य रखा गया है। तापस ड्रोन इस उच्चतम लक्ष्य पर फिलहाल सटीक प्रदर्शन नहीं कर सका है।
जानकारी के मुताबिक सशस्त्र बलों ने बताया है कि वे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में ऑपरेशन के लिए तापस ड्रोन का उपयोग करना चाहते हैं। सुरक्षा बलों का मानना है कि निगरानी और टोही गतिविधियों के लिए तापस ड्रोन का अच्छा इस्तेमाल हो सकता है। विशेषज्ञों की मौजूदगी में सुरक्षा बलों ने तापस ड्रोन का परीक्षण किया है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने ट्रायल के दौरान तापस ड्रोन 28,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने में सफल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि बेशक यह ड्रोन अभी अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सका है पर 18 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भरना और 28,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ना अपने आप में उपलब्धि है।
उच्चतम प्रदर्शन करने के लिए अब डीआरडीओ ने इसके डिजाइन में महत्वपूर्ण सुधार करने का निर्णय लिया है। संबंधित अधिकारियों के मुताबिक ड्रोन के डिजाइन में सुधार किया जाएगा, जिससे इसकी क्षमता 30,000 फीट तक बढ़ सकेगी।
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