लखनऊ, 1 नवंबर । भले ही इंडिया गठबंधन के जरिए सपा और कांग्रेस लोकसभा में एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हों, लेकिन मध्यप्रदेश चुनाव में सीट बंटवारे के बाद दोनों की राहें अलग दिखती हैं। चाहे आजम खां से जेल में मिलने की बात हो या फिर रवि भूषण के निधन में श्रद्धांजलि देने की बात, कांग्रेस सपा से आगे रहना चाहती है, जो उनके बीच की टकरावपूर्ण प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है।
राजनीतिक जानकर कहते हैं कि इंडिया गठबंधन की मुख्य पार्टियां सपा और कांग्रेस आमने- सामने आ गई है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे पर बात ना बनने के बाद यह लड़ाई अब जुबानी जंग में बदल गई है। भले ही अखिलेश यादव की तरफ से बड़े नेता का हवाला देकर इस मुद्दे पर मिट्टी डालने का प्रयास किया जा रहा हो, पर कांग्रेस अपने अक्रामक तेवर जारी रख रही है। इसका बेड़ा खुद प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने उठा रखा है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक आमोदकांत मानते हैं कि सपा और कांग्रेस के बीच अभी भी कुछ ठीक नहीं है। अखिलेश और अजय राय के बीच चल रहे फ्रैंडली फाइट में कांग्रेस के शीर्ष नेता बिल्कुल चुप हैं। मध्य प्रदेश में सीट बंटवारे के बाद से दोनों दलों में चल रही रार पर नजर डालें तो यही प्रतीत होता है। सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां के परिवार सहित जेल जाने पर अजय राय खुद उनसे मुलाकात करने सीतापुर जेल पहुंचे थे। हालांकि मुलाकात नहीं हो पाई थी। जिस पर उन्होंने सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। सपा व कांग्रेस के बीच तल्ख टिप्पणियों के बाद पोस्टर वार भी हुआ। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को देश का भावी पीएम बताने के पोस्टर पार्टी कार्यालय के बाहर लगाने के बाद कांग्रेस कार्यालय के बाहर राहुल गांधी को 2024 में पीएम बनाने और 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को मुख्यमंत्री बनाने के पोस्टर लगाए गए।
उन्होंने कहा कि दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को साधने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव साइकिल यात्रा निकाल रहे हैं। इस यात्रा पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने तंज करते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता इस यात्रा से जनता पर कोई असर पड़ेगा। उन्होंने आगे कहा कि जनता सब देख रही है। अजय राय ने कहा कि राजनीतिक दल अपने तरीके से काम करते हैं। लेकिन जो दल सत्ता में रहे हैं तो उन्हें जनता के लिए काम करना चाहिए था।
राय ने आगे कहा कि जब आप इस तरह की यात्रा निकालते हैं तो इसका मतलब है कि आप लोगों को अपने साथ जोड़ नहीं पाए। आमोदकांत कहते हैं कि इसके बाद समाजवादी पार्टी की पीडीए साइकिल यात्रा में शामिल सपा नेता रवि भूषण राजन के निधन के बाद यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय उनके परिजनों से मिलने उनके आवास पहुंचे। उसके बाद जब सपा नेता अखिलेश यादव श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे, तब तक अजय राय का श्रद्धांजलि संदेश खूब वायरल हो गया था। इन दोनो पार्टी की आपसी खटास का असर निश्चित रूप से गठबंधन पर पड़ेगा। पांच राज्यों के चुनाव के बाद जब इंडिया गठबंधन की बैठक होगी तो यह मुद्दा उठाया जा सकता है।
कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि सपा ने पहले ही सीट देने वाले बयान से कांग्रेस पर दबाव बनाने का प्रयास किया है। फिर हमारे संगठन के मुखिया को छोटे नेता बताया जाना कहां तक उचित है। इसलिए कांग्रेस गठबंधन धर्म का पालन करेगी। लेकिन सहयोगी दलों को भी इसका पालन करना होगा।
सपा प्रवक्ता फखरूल हसन चांद कहते हैं कि राष्ट्रीय दल कांग्रेस हो या भाजपा, इन्हें लगता है कि क्षेत्रीय दल उनके वोट बैंक पर कब्जा करना चाहते हैं। यही दर्द कांग्रेस को है। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व में दो फाड़ है। एक धड़े में अजय राय हैं जो उनके कहने पर सपा के खिलाफ बयानबाजी करते रहते हैं। जबकि दूसरे बड़े नेता इस मामले को निपटाने का प्रयास करते हैं। यह कांग्रेस के बड़े नेताओं का आपसी झगड़ा है। कांग्रेस को इसे निपटाना चाहिए। सपा अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करेगी। 2004 में हमने नेता जी के नेतृत्व में अकेले चुनाव लड़ा और 39 सीटें जीती। हमारा संगठन यूपी में बहुत मजबूत है। 2022 के विधानसभा चुनाव में 35 फीसद से ज्यादा वोट शेयर हमें मिला है। अगर किसी राष्ट्रीय दल को गलतफहमी है जो कि यूपी में कई छोटे दल से वोट प्रतिशत में काफी छोटा है। उसे यह पता होना चाहिए सपा अकेले भाजपा को रोकने में सक्षम है।