52 वर्षीय पेइंग गेस्ट (पीजी) संचालक की हत्या के रहस्य से पर्दा उठाते हुए गुरुग्राम पुलिस ने दो महिलाओं सहित तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
मुख्य आरोपी महिला ने एक अन्य महिला और एक पुरुष के साथ मिलकर कथित तौर पर 10 लाख रुपये की देनदारी से बचने के लिए पीजी संचालक की हत्या कर दी और शव को रेवाड़ी-नारनौल रोड पर फेंक दिया।
आरोपियों के पास से घटना में प्रयुक्त कार और मृतक की सोने की चेन बरामद की गई है।
पुलिस के अनुसार 23 नवंबर को एक व्यक्ति ने मानेसर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि 22 नवंबर को उसके पिता राजेंद्र (52) अपनी कार में गांव शिकोहपुर से आईएमटी मानेसर के सेक्टर 1 स्थित अपने पीजी में गए थे। 23 नवंबर की सुबह तक वह घर नहीं पहुंचे। जब वह अपने पिता राजेंद्र को ढूंढने गए तो उनके पिता की कार आईएमटी चौक से उनके गांव की तरफ जाने वाले हाईवे की सर्विस लेन पर खड़ी थी। कार लॉक थी, लेकिन उनके पिता वहां नहीं थे। इसके बाद मानेसर थाने में एफआईआर दर्ज कर मामला क्राइम ब्रांच मानेसर को सौंप दिया गया।
मामले की जांच करते हुए, सब-इंस्पेक्टर ललित कुमार के नेतृत्व में क्राइम यूनिट, मानेसर की एक टीम ने हत्या के पीछे के रहस्य को सुलझाया और शनिवार रात को दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। आरोपियों की पहचान सुषमा (42) निवासी आईएमटी, मानेसर के सेक्टर 1 और अनिल (37) निवासी चरखी दादरी जिले के नौरंगबास राजपुताना के रूप में हुई।
पूछताछ में पता चला कि मुख्य आरोपी सुषमा का शटरिंग का काम है, जहां आरोपी अनिल ने अपनी गाड़ियां सुषमा के काम के लिए इस्तेमाल की थी। आरोपी सुषमा और पीड़ित राजेंद्र एक दूसरे को जानते थे और राजेंद्र ने कमेटी में निवेश करने के लिए सुषमा को 10 लाख रुपये दिए थे। सुषमा ने मृतक राजेंद्र के पैसे कमेटी में निवेश करने की बजाय खर्च कर दिए और राजेंद्र को बताया कि पैसे सीमा को दे दिए गए हैं। जब मृतक राजेंद्र ने अपने पैसों के संबंध में सुषमा को सीमा से मिलने के लिए कहा तो सुषमा ने अपने साथी अनिल और सीमा के साथ मिलकर राजेंद्र की हत्या की योजना बनाई, जिसके लिए सुषमा ने सीमा को 50,000 रुपये देने का वादा किया।