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तीन दिन बाद भी फाजिल्का में धान की खरीद नहीं, सरकारी एजेंसियां ​​लक्ष्य पूरा नहीं कर पाईं

Three days later, Fazilka still has no paddy procurement, with government agencies failing to meet targets.

फाजिल्का में सोमवार को तीसरे दिन भी गैर-बासमती किस्म के धान की खरीद स्थगित रही, जबकि जिले में हजारों एकड़ में लगी फसल बाढ़ के कारण नष्ट हो जाने के बाद भी आवक इस वर्ष के लक्ष्य के बराबर ही रही। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पंजाब खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने अमृतसर और तरनतारन के साथ-साथ फाजिल्का के उपायुक्त को पत्र लिखकर इसके कारण बताए हैं।

यह आरोप ऐसे समय में आया है जब आरोप लगाया जा रहा है कि राजस्थान से उपज जिले में पहुंच गई है, क्योंकि पड़ोसी राज्य के किसान और व्यापारी अतिरिक्त कमाई के लिए यहां न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसल बेच रहे हैं। विस्तृत रिपोर्ट मांगते हुए एक पत्र में खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव-सह-निदेशक वरिंदर कुमार शर्मा ने कहा कि एजेंसियों ने केंद्रीय पूल के लिए 1 नवंबर तक मंडियों में आए 122.56 मीट्रिक टन धान में से 119.53 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की है।

पत्र में कहा गया है, “1 नवंबर को संकलित आंकड़ों के अनुसार, खरीफ सीजन 2024-25 की तुलना में अमृतसर, फाजिल्का और तरनतारन में क्रमशः 98 प्रतिशत, 100 प्रतिशत और 96 प्रतिशत धान की आवक दर्ज की गई है।” पत्र में कहा गया है, “यह स्थिति इन जिलों में बेमौसम बारिश और बाढ़ के कारण पैदावार में कमी और फसलों को हुए नुकसान की खबरों के बावजूद है।”

उन्होंने जिला खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति नियंत्रकों (डीएफसीएससी) को सुचारू खरीद सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा, “उन्हें खरीद केंद्रों पर वास्तविक आवक की पुष्टि करने के लिए कहा गया है। मंडियों में, जहाँ 90 प्रतिशत से ज़्यादा धान आ चुका है, अधिकारियों को स्टॉक के साथ-साथ एक किसान की तस्वीर भी खींचनी होगी, जिसके हाथ में उसी तारीख का एक अखबार हो, जिसमें तारीख साफ़ दिखाई दे रही हो।”

उन्होंने कहा, ‘‘फोटोग्राफ लेने के बाद यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मंडियों में धान की आवक या खरीद दर्ज की जाए ताकि प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके।’’ इस पर डीएफसीएससी वंदना कंबोज ने कहा कि कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार फाजिल्का में परमल (गैर-बासमती) किस्मों का रकबा पिछले साल के 26,000 हेक्टेयर से बढ़कर 28,000 हेक्टेयर हो गया है।

खरीद स्थगित होने के बारे में उन्होंने कहा, “पिछले दो दिनों से खरीद बंद थी। अब प्रक्रिया फिर से शुरू करने के लिए डीसी से नए निर्देशों का इंतजार है।” बाद में शाम को सूत्रों ने बताया कि कुछ किसानों की तस्वीरें खींची गईं, लेकिन खरीद शुरू नहीं हो सकी।

किसान नेता सुखमंदर सिंह ने ख़रीद प्रक्रिया की जाँच की माँग की। उन्होंने आरोप लगाया, “पड़ोसी राज्य राजस्थान से भारी मात्रा में धान आया है और बाज़ार समितियों को दरकिनार करके सीधे चावल मिल मालिकों को बेचा जा रहा है जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है।”

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