धर्मशाला, भारत में जन्मीं और पली-बढ़ी तिब्बती फिल्मकार त्सेरिंग वांगमो ने ‘सिनेमा एट सिटीगार्डन’ कार्यक्रम की आठवीं ज्यूरिड कम्पीटिशन में शीर्ष सम्मान हासिल किया है। सिनेमा सेंट लुइस (सीएसएल) द्वारा आयोजित और गेटवे फाउंडेशन से फंड प्राप्त करने वाले कार्यक्रम में स्थानीय फिल्म निर्माताओं की उन शॉर्ट फिल्म्स को शामिल किया जाता है जो नेचर पर आधारित होता है।
वांगमो की फिल्म बाउंड्रीज ने प्रथम पुरस्कार और 1,500 डॉलर की राशि जीती।
तिब्बती समाचार पोर्टल फायुल का कहना है कि सेंट लुइस में वाशिंगटन विश्वविद्यालय में एंथ्रोपोलोजी की छात्रा वांग्मो की फिल्मों ने निर्वासन, शरणार्थी, स्टेटलेसनेस, स्मृति, पहचान और युद्ध और विस्थापन जैसे गंभीर विषयों पर शॉर्ट फिल्में बनाई हैं।
उनके व्यक्तिगत अनुभव और पृष्ठभूमि ने पारिवारिक अलगाव, विस्थापन और राजनीतिक अधीनता जैसे विषयों के माध्यम से उनके फिल्म निर्माण को बहुत प्रभावित किया है।
वह एनवाईयू के डॉक्युमेंट्री फिल्म प्रोडक्शन प्रोग्राम की पूर्व छात्रा हैं। न्यूयॉर्क में डॉक्युमेंट्री फिल्ममेकिंग में कोर्स करने से पहले उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में पत्रकारिता और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) में जनसंचार की पढ़ाई की।
तिब्बत की ‘नोमैड इन एक्साइल’ (2018), ‘लुकिंग बैक इन एक्साइल’ (2018), ‘हॉर्स’ (2019), ‘कन्वर्सेशन विद माय मदर’ (2019), ‘इन द माउंटेंस’ (2020) और उनकी पुरस्कार विजेता फिल्म ‘बाउंड्रीज’ (2023) सहित उनके पिछले प्रोजेक्ट्स में शामिल हैं।
वांगमो ने इससे पहले माई हीरो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (एमएचआईएफएफ) में तीन पुरस्कार जीते हैं, जिसमें एमएचआईएफएफ के छात्र प्रभाग में प्रतिष्ठित 2019 ईवा हॉलर वुमन ट्रांसफॉर्मिग मीडिया (डब्ल्यूटीएम) अवार्ड शामिल है।
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