June 20, 2025
Rajasthan

राजस्थान के रणथंभौर में सेल्फी ले रही भीड़ पर बाघ का हमला, दो घायल

Tiger attacks crowd taking selfie in Rajasthan’s Ranthambore, two injured

जयपुर, 20 जून । राजस्थान के रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के फलौदी रेंज में शुक्रवार को एक बाघ ने हमला कर दो लोगों को घायल कर दिया। यह घटना उस समय हुई जब कैलाशपुरी तालाब के एनीकट के पास पानी पी रहे बाघ को देखने और उसके साथ सेल्फी लेने के लिए भीड़ जमा हो गई थी।

पीड़ितों में कृषि विभाग का एक अधिकारी और होमगार्ड का एक जवान शामिल है। अधिकारियों के अनुसार, सवाई माधोपुर शहर के निवासी वरिष्ठ कृषि पर्यवेक्षक सीताराम सैनी डुमोडा गांव में एक खेत की बाड़ का निरीक्षण करके लौट रहे थे, तभी उन्होंने एनीकट के पास भीड़ देखी। वह भी बाघ को देखने के लिए रुके, लेकिन अचानक हुए घटनाक्रम में बाघ ने उन पर हमला कर दिया, जिससे वह घायल हो गए और पैर में चोटें आईं।

भीड़ में शामिल होमगार्ड के जवान बाबूलाल ने उन्हें बचाने का प्रयास किया। हालांकि, आक्रामक बाघ ने बाबूलाल पर भी हमला कर दिया और अपने पंजे से उनके चेहरे पर वार कर दिया। वन विभाग की टीम के मौके पर पहुंचने के बाद दोनों घायलों को जिला अस्पताल ले जाया गया।

गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों से कैलाशपुरी एनीकट में बाघ की आवाजाही लगातार देखी जा रही है। बार-बार देखे जाने और स्थानीय लोगों द्वारा खतरनाक तरीके से जानवर के करीब सेल्फी और वीडियो लेने के मामलों के बावजूद वन विभाग द्वारा कोई निवारक कार्रवाई नहीं की गई।

प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि घटना की सुबह भी एक व्यक्ति बाघ के साथ सेल्फी लेता हुआ दिखाई दिया। फलोदी एसीएफ योगेश कुमार ने बताया कि घटना में शामिल बाघ की सही पहचान की अभी जांच की जा रही है। हालांकि, बाघिन टी-8 और टी-108 के इस क्षेत्र में अक्सर आने-जाने के बारे में पता है और संभावना है कि उनमें से एक मानवीय हस्तक्षेप के कारण आक्रामक हो गई हो।

वन अधिकारियों ने एक बार फिर स्थानीय लोगों और पर्यटकों से वन्यजीवों से सुरक्षित दूरी बनाए रखने और रिजर्व के अंदर सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने का आग्रह किया है।

यह घटना पिछले दो महीने के अंदर क्षेत्र में बाघ के तीसरे घातक हमले के कुछ दिन बाद हुई है।

सोमवार सुबह ऐतिहासिक रणथंभौर किले के अंदर एक बाघ ने 60 वर्षीय पुजारी पर हमला कर उन्हें मार डाला था। मृतक की पहचान शेरपुर गांव निवासी राधेश्याम सैनी के रूप में हुई, जो पिछले दो दशकों से किले में जैन मंदिर में सेवा कर रहा था।

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