February 26, 2025
Haryana

झाबुआ जंगल के पास के गांवों में बाघ का आतंक बरकरार

Tiger terror continues in villages near Jhabua forest

झाबुआ रिजर्व वन क्षेत्र के निकट स्थित 10 गांवों के निवासी चिंतित हैं, क्योंकि दो महीने पहले अलवर के सरिस्का बाघ अभयारण्य से भटक कर इस क्षेत्र में आए ढाई साल के बाघ को अभी तक बचाया नहीं जा सका है।

ग्रामीणों का दावा है कि खेतों में बाघ के पैरों के निशान मिले हैं। बाघ की मौजूदगी से डरे ग्रामीणों ने आज डिप्टी कमिश्नर से संपर्क किया और उनसे जल्द से जल्द बाघ को बचाने का आग्रह किया।

खिजुरी गांव के मीर सिंह कहते हैं, “मेरे गांव से सटे झाबुआ वन क्षेत्र में बाघ अभी भी मौजूद है। खेतों में बाघ के पैरों के निशान मिले हैं। कुछ ग्रामीणों ने उसे देखा भी है। गेहूं और सरसों की खेती का समय होने के कारण किसानों को तड़के ही खेतों में जाना पड़ता है। वे अपनी सुरक्षा को लेकर आशंकित हैं।”

उन्होंने बताया कि कई किसान भी सूर्यास्त के बाद खेतों में जाने से कतराने लगे हैं। सिंह कहते हैं, “हम अब इस तरह के तनावपूर्ण माहौल में नहीं रह सकते। इसलिए 10 गांवों के निवासियों ने आज डीसी को ज्ञापन सौंपकर बाघ को जल्द से जल्द पकड़ने का आग्रह किया है।”

बिदावास गांव के एक अन्य निवासी भरत कहते हैं, “डीसी ने हमें अगले तीन दिनों के भीतर इस मुद्दे को सुलझाने का आश्वासन दिया है। अगर बाघ को जल्द ही नहीं पकड़ा गया तो हम इस मुद्दे पर पंचायत बुलाने से भी नहीं हिचकिचाएंगे।” डीसी अभिषेक मीना का कहना है कि प्रभागीय वन अधिकारी को बाघ को बचाने और उसे सरिस्का टाइगर रिजर्व में वापस भेजने के लिए कहा गया है। रेवाड़ी के उप वन संरक्षक (डीसीएफ) दीपक पाटिल का कहना है कि बाघ को बचाने के प्रयास जारी हैं।

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