ऊना के विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने आज कहा कि नदियों के किनारे अंधाधुंध निर्माण, पेड़ों की कटाई और अवैध खनन से बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हो रहा है और प्राकृतिक आपदाओं को रोकने के लिए इस पर रोक लगाई जानी चाहिए।
विधानसभा में नियम 67 के तहत वर्षा आपदा पर बहस में भाग लेते हुए सत्ती ने कहा कि अवैध खनन से ऊना और संतोखगढ़ के बीच पुलों और बुनियादी ढाँचे को भारी नुकसान पहुँचा है। उन्होंने आगे कहा कि ऊना में कोई ज़मीन पट्टे पर नहीं दी गई है, फिर भी दूसरे राज्यों से आए टिपरों और मशीनों की मदद से अवैध खनन किया जा रहा है। उन्होंने पेड़ों की अवैध कटाई के खिलाफ कार्रवाई की माँग की।
सत्ती ने कहा, “बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं के लिए प्राकृतिक और मानवीय दोनों ही कारण ज़िम्मेदार हैं। हर दूसरे दिन बादल फटने की घटनाओं के कारण पर्यटक हिमाचल आने से डरते हैं। न केवल पर्यटन क्षेत्र, बल्कि सेब और सब्ज़ी उत्पादकों को भी भारी नुकसान हो रहा है।” उन्होंने आगे कहा कि जब पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही हो और रोपे गए पौधों की जीवित रहने की दर बेहद कम हो, तो वृक्षारोपण अभियान चलाना व्यर्थ है।
सत्ती ने अवैध खनन पर रोक लगाने और सरकार के लिए राजस्व जुटाने हेतु नालों से गाद निकालने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने नदियों, नालों और जलभराव वाले क्षेत्रों में बेतरतीब और अनियमित निर्माण पर चिंता व्यक्त की, जो किसी भी आपदा का कारण बन सकता है।
धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा ने अपने भूकंप-प्रवण निर्वाचन क्षेत्र में चल रहे अवैध निर्माण पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बड़े शहरों में विकास कार्य शुरू करने से पहले उनकी वहन क्षमता को ध्यान में रखा जाना चाहिए ताकि उन्हें शिमला जैसा कंक्रीट का जंगल बनने से बचाया जा सके।
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