हिमाचल, कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन परियोजना की दूसरी सबसे बड़ी, 1265 मीटर लंबी टीहरा टनल, गुरुवार को ब्रेक-थ्रू होगी। इसके लिए संबंधित कंस्ट्रक्शन कंपनी की ओर से तैयारियां कर ली गई हैं। वहीं, टनल ब्रेक-थ्रू होने के बाद टनल के दोनों छोर, आपस में मिल जाएंगे। हालांकि इस टनल के निर्माण को लेकर करीब, आठ साल का समय बीत गया, लेकिन टीहरा टनल हादसा होने के बाद, संबधित कंपनी कार्य बीच में ही छोड़ कर चली गई थी।
वहीं, गत वर्ष हिमालय कंस्ट्रक्शन कंपनी को इस टीहरा टनल के शेष बचे, 492 मीटर कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई, जिसे कंपनी की ओर से महज एक वर्ष में ही पूरा कर लिया है।
जानकारी के अनुसार टीहरा टनल के निर्माण पर अब तक करीब 150 करोड़ की राशि खर्च हो चुकी है। कंपनी की ओर से टनल के भीतर लाइनिंग भी कर दी गई है। कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन कार्य के तहत, पांच टनल का निर्माण किया गया है। इसमें चार टनल्स बिलासपुर व एक टनल मंडी जिला के तहत डैहर टनल है।
फोरलेन पर कैंचीमोड़ से लेकर मंडी की सीमा भवाणा तक का कार्य, गाबर कंपनी के हवाले है, जिस पर 22 ब्रिज और पांच टनल निर्माणाधीन हैं।
इसके तहत कैंचीमोड़ से मैहला के लिए बन रही टनल की लंबाई, 1800 मीटर है। यह सभी पांच टनल में सबसे लंबी है।
हिमालय कंस्ट्रक्शन कंपनी के GM ने बताया कि, कंपनी की ओर से एक साल के भीतर 492 मीटर कार्य पूरा किया गया है। रिकार्ड समय में इस टनल का कार्य हुआ है। अब कंपनी की ओर से इस टनल के कार्य को लेकर, ब्रेक थू्र कर दिया जाएगा। टनल के भीतर लाइनिंग भी कर दी गई है। टनल के निर्माण पर 150 करोड़ की राशि खर्च हुई है।