सोलन, 27 जून राज्य स्तरीय शूलिनी मेले के खत्म होने के तीन दिन बाद भी सड़कों के किनारे दुकानें लगाने वाले व्यापारी अपना इलाका खाली नहीं कर पाए हैं। इससे यातायात जाम की स्थिति पैदा हो रही है, क्योंकि सड़कों के दोनों तरफ दुकानें लगी हुई हैं। खाने-पीने की कई तरह की चीजें, कपड़े, घरेलू सामान, प्लास्टिक के सामान, रसोई के सामान, कॉस्मेटिक्स आदि बेचने वाले इन व्यापारियों ने पुराने डीसी ऑफिस से कोटला नाले तक सड़क पर अतिक्रमण कर रखा था। चूंकि मेले के दौरान इस सड़क पर वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित होती है, इसलिए दुकानें यातायात में बाधा नहीं डालती हैं और आसानी से अपना काम चला सकती हैं।
शूलिनी मेले के दौरान हर साल स्टॉल की नीलामी की जाती है। हालांकि इससे नगर निगम को कुछ आय होती है, लेकिन इन्हें हटाने के लिए समय पर कार्रवाई न होने से व्यापारियों का हौसला बढ़ गया है।
पुराने डीसी ऑफिस-कोटला नाला रोड पर वाहन चालकों को परेशानी हुई, लेकिन पैदल चलने वालों को खास तौर पर असुविधा हुई क्योंकि उन्हें चलते समय जगह की कमी महसूस हुई। ट्रैफिक पुलिस को सड़क के छोड़े गए संकरे हिस्से पर वाहनों को नियंत्रित करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
शहर में आने वाले लोगों को अपने वाहन पार्क करने में परेशानी हो रही थी क्योंकि हर गली-मोहल्ले में व्यापारियों ने कब्जा कर रखा था। यहां तक कि कुछ दफ्तरों तक पहुंचने के रास्ते भी दुकानों के कारण अवरुद्ध हो गए थे।
हालांकि नगर निगम के कर्मचारियों और पुलिसकर्मियों की एक टीम ने व्यापारियों को एक घंटे के भीतर अपनी दुकानें खाली करने का निर्देश दिया, लेकिन अड़े व्यापारियों पर इसका कोई खास असर नहीं हुआ और वे नहीं माने। चूंकि निवासियों ने भी दुकानों में गहरी दिलचस्पी दिखाई, इसलिए व्यापारियों ने जल्दी से जल्दी पैसा कमाने के लिए इस अवसर का फायदा उठाया, जिससे स्थानीय व्यापारियों को असुविधा हुई और उनका कारोबार प्रभावित हुआ।
सोलन शहर में घूमने आए अजय ने कहा, “व्यापारियों से तीन अतिरिक्त दिनों के लिए शुल्क लिया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने आम आदमी की सुविधा की कीमत पर कमाई की है। चूंकि तीन दिन की छुट्टी के बाद आज सभी कार्यालय खुले थे, इसलिए काम के लिए शहर आने वाले लोगों को इस मार्ग पर यातायात से निपटने में समस्याओं का सामना करना पड़ा।”
उल्लेखनीय है कि यह कोई नई बात नहीं है, बल्कि हर साल देखा गया है कि प्रशासन के ढीले रवैये के कारण मेला खत्म होने के बाद भी ये व्यापारी सड़क पर अतिक्रमण जारी रखते हैं।
हालांकि पुलिस ने 1,000 रुपये से लेकर 5,000 रुपये तक के चालान काटने की घोषणा की थी, लेकिन इसका बहुत सीमित प्रभाव पड़ा और स्टॉल मालिक अपना सामान हटाने के लिए केवल दिखावटी प्रयास करते नजर आए, जबकि वे अपना सामान बेचते रहे।