चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर ने सोमवार को विस्तार शिक्षा निदेशालय में सशस्त्र बलों के जेसीओ और समकक्ष रैंक के अधिकारियों के लिए “सब्जी और बागवानी फसलों की संरक्षित खेती और मूल्य संवर्धन” पर अपने चौथे दीर्घकालिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम रक्षा मंत्रालय के पुनर्वास महानिदेशालय (डीजीआर) द्वारा रक्षा कर्मियों के लिए पुनर्वास और कौशल विकास पहल के तहत प्रायोजित किया जा रहा है।
कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन कुलपति ए.के. पांडा ने वैधानिक अधिकारियों, संकाय सदस्यों और प्रशिक्षण समन्वयकों की उपस्थिति में किया। इस पाठ्यक्रम में 20 जेसीओ और समकक्ष रैंक के अधिकारी – 14 सेना से और छह नौसेना से – नामांकित किए गए हैं, जो 27 मार्च, 2026 को समाप्त होगा।
अपने उद्घाटन भाषण में कुलपति ने रक्षा कर्मियों की भागीदारी की सराहना की तथा उन्हें विश्वविद्यालय के आधुनिक बुनियादी ढांचे, प्रयोगशालाओं और क्षेत्रीय सुविधाओं का पूरा लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि संरक्षित खेती और मूल्य संवर्धन से स्थायी आय सृजन और उद्यमिता की अपार संभावनाएं हैं, विशेष रूप से सेवा-पश्चात आजीविका अपनाने वाले कार्मिकों के लिए।
निदेशक (विस्तार शिक्षा) विनोद शर्मा ने स्वागत भाषण दिया तथा सभी गणमान्य व्यक्तियों, संकाय सदस्यों तथा सेना एवं नौसेना के प्रशिक्षुओं के प्रतिष्ठित समूह को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि यह पाठ्यक्रम रक्षा कर्मियों के लिए विश्वविद्यालय का चौथा दीर्घकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम है और उन्होंने संरक्षित खेती, वैज्ञानिक फसल प्रबंधन और आधुनिक कृषि में मूल्यवर्धन के बढ़ते महत्व पर प्रकाश डाला। शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय निरंतर उच्च-गुणवत्ता वाले, आवश्यकता-आधारित कौशल विकास कार्यक्रम प्रदान करता है।


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