तीन नए आपराधिक कानूनों – भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएनएस), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम -2023 पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम हरियाणा पुलिस अकादमी (एचपीए), मधुबन के डॉ एस राधाकृष्णन सम्मेलन हॉल में शुरू हुआ।
हरियाणा अभियोजन विभाग के तत्वावधान में आयोजित यह प्रशिक्षण 21 मार्च तक चलेगा। कार्यक्रम का उद्घाटन अकादमी निदेशक डॉ. अर्शिंदर सिंह चावला के मार्गदर्शन में उप जिला अटॉर्नी (डीडीए) सुरेंद्र कुमार ने किया। प्रशिक्षण में राज्य भर की विभिन्न इकाइयों से कुल 28 सरकारी वकील भाग ले रहे हैं।
पानीपत के जिला अटॉर्नी राजेश चौधरी ने इस बात पर जोर दिया कि न्याय पंक्ति में अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए और कहा कि समर्पित प्रयासों के माध्यम से एक भी पीड़ित को न्याय दिलाना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि न्याय न केवल अदालत में दिया जाना चाहिए बल्कि न्यायपालिका में जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए इसे स्पष्ट रूप से कायम भी रखना चाहिए।
चौधरी ने अभियोजकों से बाधाओं के बजाय समस्या समाधानकर्ता बनने का आग्रह किया। उन्होंने उनसे जिज्ञासु बने रहने का आह्वान किया, क्योंकि जिज्ञासा व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए आवश्यक है। उन्होंने नए आपराधिक कानूनों के साथ-साथ ऐतिहासिक न्यायिक निर्णयों पर अपडेट रहने और सहकर्मियों के साथ ज्ञान साझा करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने निष्पक्ष और वैध आपराधिक कार्यवाही सुनिश्चित करने में अभियोजन पक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला, क्योंकि सरकारी अभियोजक न्याय प्रणाली का एक अभिन्न अंग हैं।
सुरेन्द्र कुमार ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा मुख्य अतिथि का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानूनों के बारे में गहन जानकारी देने के लिए विषय विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया था। उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन के लिए अकादमी के निदेशक डॉ. अर्शिंदर सिंह चावला, हरियाणा अभियोजन विभाग तथा पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. सोहन सिंह का आभार व्यक्त किया।
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