हिमाचल कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी ने महान रंगमंच कलाकार मनोहर सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कल मंडी जिले के कंगनीधार स्थित संस्कृति सदन कॉन्फ्रेंस हॉल में उनकी जयंती पर एक स्मृति समारोह का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में प्रमुख कलाकार, लेखक, रंगमंच की हस्तियाँ और सांस्कृतिक विद्वान भारतीय रंगमंच की एक महान हस्ती मनोहर सिंह के जीवन और विरासत का जश्न मनाने के लिए एकत्रित हुए।
अकादमी के सचिव और हिमाचल प्रदेश के भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग के निदेशक डॉ. पंकज ललित ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि मनोहर सिंह न केवल हिमाचल के एक प्रसिद्ध कलाकार थे, बल्कि पूरे भारत में रंगमंच के कलाकारों के लिए प्रेरणा के स्रोत थे। उन्होंने घोषणा की कि राज्य सरकार जल्द ही कलाकारों और साहित्यकारों को बढ़ावा देने के लिए नई पहल शुरू करने के लिए गंभीर चर्चा करेगी। उन्होंने साथी कलाकारों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं से ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ जनता की सहभागिता बढ़ाने में सक्रिय रूप से योगदान देने का आग्रह किया।
डॉ. ललित ने इस बात पर जोर दिया कि प्रदर्शन कलाओं के विकास के लिए दर्शकों की भागीदारी बढ़ाना महत्वपूर्ण है तथा उन्होंने कलाकार समुदाय से अनुरोध किया कि वे ऐसे आयोजनों में अधिक से अधिक लोगों की रुचि आकर्षित करने के लिए रचनात्मक रणनीति तैयार करें।
कार्यक्रम की शुरुआत अकादमी के सहायक सचिव डॉ. श्याम वर्मा के स्वागत भाषण से हुई, जिन्होंने समारोह के पीछे के उद्देश्य और मंशा पर प्रकाश डाला।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी), नई दिल्ली के पूर्व निदेशक सुरेश शर्मा ने मनोहर सिंह के जीवन, व्यक्तित्व और योगदान पर एक विस्तृत पेपर प्रस्तुत किया, जिसमें रंगमंच के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और भारतीय रंगमंच में उनके द्वारा लाई गई परिपक्वता पर विस्तार से प्रकाश डाला गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, प्रसिद्ध लेखक, कलाकार, स्तंभकार और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी श्रीकांत श्रीनिवास जोशी ने मनोहर सिंह के साथ अपनी निजी यादें और बातचीत साझा की। उन्होंने मनोहर सिंह को नाट्य कला में समर्पण और उत्कृष्टता का सच्चा अवतार बताया और सांस्कृतिक मानचित्र पर हिमाचल का नाम ऊंचा करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की प्रशंसा की।
मुख्य अतिथि डॉ. रेखा वशिष्ठ ने कहा कि रंगमंच से जुड़े लोगों को अक्सर काफी संघर्षों का सामना करना पड़ता है तथा उन्होंने इस कला के विकास और स्थायित्व को सुनिश्चित करने के लिए रंगमंचकर्मियों के बीच एकता और सहयोग के महत्व पर बल दिया।
वरिष्ठ रंगमंच कलाकार और निर्देशक संजय सूद ने मनोहर सिंह के साथ बिताए पलों को याद किया और कलाकारों तथा संस्थाओं से अपील की कि वे भावी पीढ़ियों के लिए सिंह के कार्यों से संबंधित दस्तावेजों, दृश्य-श्रव्य और अभिलेखों को संरक्षित रखें।
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