October 13, 2025
National

‘उल्लास’ से ग्रामीण और महिला साक्षरता में आई वृद्धि, प्रधानमंत्री मोदी ने शेयर किया जयंत चौधरी का लेख

‘Ullhas’ has led to an increase in rural and female literacy, PM Modi shared Jayant Chaudhary’s article.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘समाज में सभी के लिए आजीवन शिक्षा को समझना’ (उल्लास) कार्यक्रम के परिवर्तनकारी प्रभाव की प्रशंसा की है। उन्होंने केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी का एक लेख शेयर किया, जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत 2022 में शुरू किए गए इस कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीण समुदायों और महिलाओं पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए पूरे भारत में वयस्कों के लिए शिक्षा के अवसरों के उल्लेखनीय विस्तार की बात कही गई है।

केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत चौधरी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, “इस लेख में राज्य मंत्री जयंत चौधरी बताते हैं कि कैसे एनईपी 2020 के अनुरूप 2022 में शुरू किया गया ‘उल्लास’ कार्यक्रम वयस्कों के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करता है।”

पीएम मोदी ने लिखा, “उन्होंने (जयंत चौधरी) इस बात पर प्रकाश डाला कि ‘उल्लास’ कार्यक्रम के प्रभाव ने ग्रामीण और महिला साक्षरता में वृद्धि की है, जिससे भारत 2030 तक संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के साक्षरता लक्ष्य को प्राप्त करने की राह पर है।”

जयंत चौधरी ने अपने लेख की शुरुआत जर्मन मनोचिकित्सक और मनोविश्लेषक फ्रिट्ज पर्ल्स के ‘सीखना उस चीज की खोज है जो संभव है’ शब्दों के साथ की।

उन्होंने लिखा, “हर समाज में सीखने का एक चक्र होता है। इसके भीतर रहने वाले लोग पढ़ सकते हैं, समझ सकते हैं और काम कर सकते हैं, लेकिन जो लोग इसके बाहर रह जाते हैं, वे दूसरों पर निर्भर रहते हैं कि वे बोलें और अपने लिए निर्णय लें। साक्षरता वह रेखा है, जो इन दोनों को अलग करती है।”

जयंत चौधरी ने मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में रहने वाली दीया बाई का किस्सा बताया, जो बैंक में पैसे निकालने के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहती थीं, लेकिन आज वह न सिर्फ खुद यह काम करती हैं, बल्कि अपने गांव की अन्य महिलाओं को भी उन लाभों का लाभ उठाने में मार्गदर्शन करती हैं।

उन्होंने आगे लिखा, “इसी विश्वास के कारण उल्लास (यूएलएलएसी), ‘समाज में सभी के लिए आजीवन शिक्षा की समझ’, की स्थापना हुई। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप ‘उल्लास’ को 2022 में 15 साल और उससे अधिक आयु के उन वयस्कों को शैक्षिक अवसर प्रदान करने के लिए लॉन्च किया गया था, जो औपचारिक स्कूली शिक्षा से वंचित रह गए।

जयंत चौधरी ने जानकारी दी कि 2022 में शुरू हुए इस कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक 2.8 करोड़ से अधिक शिक्षार्थी और 45 लाख स्वयंसेवक जुड़ चुके हैं।

सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री ने बताया कि ‘उल्लास’ का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। ग्रामीण साक्षरता 2011 के 67.7 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 77.5 प्रतिशत हो गई है। महिला साक्षरता 65.4 प्रतिशत से बढ़कर 74.6 प्रतिशत हो गई है।

मंत्री ने कहा कि अगस्त 2024 में शिक्षा मंत्रालय ने साक्षरता की परिभाषा को विस्तृत करते हुए इसमें डिजिटल साक्षरता, वित्तीय ज्ञान और गणना कौशल को शामिल किया है। यह कदम संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 4.6 को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, जिसके अनुसार 2030 तक सभी युवाओं और अधिकांश वयस्कों को साक्षर और संख्यात्मक दक्ष बनाना अनिवार्य है।

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