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संयुक्त राष्ट्र एक ‘पुरानी कंपनी’, बदलते वक्त के साथ तालमेल बैठाने में नाकाम: जयशंकर

UN is an 'old company', failing to keep pace with changing times: Jaishankar

नई दिल्ली, 6 अक्टूबर । विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) एक ‘पुरानी कंपनी’ की तरह है जो बदलते वैश्विक परिदृश्य के साथ तालमेल नहीं बैठा पा रही है लेकिन ‘बाजार में जगह घेर रही है।’

कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में बोलते हुए जयशंकर ने जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र दुनिया के साथ तालमेल बैठाने में नाकाम रहा है जिससे देशों को वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए वैकल्पिक तरीके खोजने पर मजबूर होना पड़ा है।

जयशंकर ने कहा, “चूंकि यह एक आर्थिक सम्मेलन है, इसलिए मैं आपको एक व्यावसायिक उत्तर देता हूं। संयुक्त राष्ट्र, एक तरह से, एक पुरानी कंपनी की तरह है, जो पूरी तरह से बाजार के साथ तालमेल नहीं बैठा पा रही है, लेकिन जगह घेर रही है। जब कंपनी दुनिया से पिछड़ जाती है तो स्टार्टअप और इनोवेशन शुरू होते हैं। अलग-अलग लोग, अपनी-अपनी चीजें करना शुरू कर देते हैं।”

जयशंकर ने कहा, “आखिरकार संयुक्त राष्ट्र तो है, लेकिन यह काम करने में बहुत कमजोर है, हालांकि यह अभी भी एकमात्र बहुपक्षीय खिलाड़ी है। लेकिन जब यह प्रमुख मुद्दों पर आगे नहीं आता है, तो देश अपने-अपने तरीके खोज लेते हैं।”

कोविड-19 महामारी के दौरान संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर बोलते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने इसके सीमित योगदान का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “संभवतः हमारे जीवन में जो सबसे बड़ी घटना घटी वह कोविड थी। जरा सोचें कि कोविड में संयुक्त राष्ट्र ने क्या किया, मुझे लगता है कि इसका उत्तर बहुत अधिक नहीं है।”

विदेश मंत्री ने प्रमुख वैश्विक संघर्षों, विशेष रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध और चल रहे मध्य पूर्व संकट पर संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को लेकर भी चर्चा की।

जयशंकर ने कहा, “दुनिया में दो बहुत गंभीर संघर्ष चल रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र उन में कहां है? अनिवार्य रूप से एक मूकदर्शक। जैसा कि आपने कोविड के दौरान भी देखा, देशों ने या तो अपने तरीके से काम किया या कोवैक्स जैसी पहल सामने आई, जिसके पीछे देशों का ग्रुप था।”

विदेश मंत्री ने कहा, “आजकल जब बड़े मुद्दों की बात आती है, तो आप पाएंगे कि देशों के समूह एक साथ आकर कहते हैं कि, आइए इस पर सहमत हो जाएं और इसे करें।” उन्होंने कहा, “संयुक्त राष्ट्र रहेगा, लेकिन एक गैर-यूएन स्पेस भी तेजी से विकसित हो रहा है, जो एक्टिव स्पेस है।”

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