कोलंबो, श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने मंगलवार को संसद में बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने देश की मदद करने के लिए खाद्य, कृषि और स्वास्थ्य क्षेत्रों में लगभग 48 मिलियन डॉलर की मानवीय सहायता प्रदान करने की योजना बनाई है। श्रीलंका भोजन की कमी, बिजली और ईंधन का अभाव, कमजोर अर्थव्यवस्था समेत कई विनाशकारी संकट से जूझ रहा है।
अपने संबोधन में, विक्रमसिंघे ने संसद को सूचित किया कि संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया भर के देशों से श्रीलंका को मानवीय सहायता प्रदान करने की अपील की थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र, खाद्य और कृषि संगठन, विश्व खाद्य कार्यक्रम (एफपी), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों के साथ बात की। विक्रमसिंघे ने संसद को बताया, इन अंतरराष्ट्रीय संगठनों और अन्य देशों के कई प्रतिनिधियों ने इस मुश्किल समय में हमारे देश का समर्थन करने पर सहमति व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएफपी के एक स्टडी में पाया गया कि श्रीलंका में 73 प्रतिशत परिवारों ने संकट के मद्देनजर खाने में कटौती कर दी है, जो कि 1948 में देश को अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद से सबसे खराब स्थिति है। अपने संबोधन में, विक्रमसिंघे ने श्रीलंका की सहायता करने के लिए भारत को धन्यवाद दिया और संसदीय समिति से नई दिल्ली और टोक्यो द्वारा दी गई मूल्यवान परियोजनाओं के निलंबन की जांच करने का आग्रह किया।
पीएम ने कहा कि जापान और भारत हमें दो एलएनजी बिजली संयंत्रों की आपूर्ति करने के लिए सहमत हुए थे, लेकिन बिना किसी कारण उन दो परियोजनाओं को रोक दिया था। विक्रमसिंघे ने कहा, भारत ने संकट के समय में हमारी मदद की। इस कठिन समय के दौरान हम उनके प्रति अपना सम्मान और आभार व्यक्त करते हैं।
विक्रमसिंघे ने एशिया की तीन प्रमुख शक्ति भारत, चीन और जापान के साथ संबंधों के पुनर्निर्माण की आवश्यकता पर भी जोर दिया। पीएम ने कहा, भारत, चीन और जापान उन देशों की सूची में सबसे आगे हैं, जो हमें ऋण और सहायता प्रदान करते हैं। इन देशों के साथ संबंध, जो हमेशा मजबूत रहे हैं, अब टूट गए हैं। उन रिश्तों को फिर से बनाने की जरूरत है।