एक, 18 जून ऊना विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने आज यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य नागरिक आपूर्ति निगम में अव्यवस्था फैली हुई है और इसका कामकाज पटरी से उतर चुका है। उन्होंने कहा कि निगम को खाद्य तेलों के लिए निविदाएं संसाधित करने का समय नहीं मिला है और नागरिक आपूर्ति विभाग ने अभी तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत आपूर्ति की जाने वाली चीनी की कीमत को मंजूरी नहीं दी है।
सत्ती ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप राज्य में उचित मूल्य की दुकानों पर खाद्य रिफाइंड तेल, सरसों तेल और चीनी सहित आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं तथा उपभोक्ताओं को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत केवल कुछ खाद्य वस्तुएं ही मिल पा रही हैं, जिससे उन्हें शेष वस्तुएं खुले बाजार से ऊंचे दामों पर खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि नागरिक आपूर्ति निगम के गोदामों में भी खाद्य तेल और चीनी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है तथा मौजूदा परिस्थितियों में ये आवश्यक वस्तुएं अगले कुछ महीनों तक भी उपभोक्ताओं को उपलब्ध नहीं हो पाएंगी।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में कांग्रेस सरकार ‘मित्रों की सरकार’ है और यह केवल सत्ता में बैठे लोगों के मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए काम करती है। उन्होंने कहा कि सरकार “मित्रों की, मित्रों के लिए और मित्रों द्वारा” है और सत्ता में बैठे लोगों के ये ‘मित्र’ ही कांग्रेस सरकार के पिछले 18 महीने के शासन के दौरान सबसे अधिक लाभान्वित हुए हैं।
सत्ती ने आरोप लगाया कि चारों ओर कुशासन और अराजकता है तथा समाज के सभी वर्गों के लोग पीड़ित हैं।
पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार हमेशा से ही आम जनता की समस्याओं के समाधान में विफल रही है। उन्होंने दावा किया कि विकास पूरी तरह से ठप्प हो गया है, जबकि पंचायत प्रतिनिधि स्वीकृत कार्यों को शुरू करने के लिए पैसे की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के पास छोटे-मोटे सार्वजनिक कार्य शुरू करने के लिए भी पैसे नहीं हैं।
सत्ती ने आरोप लगाया कि सरकारी दफ्तरों में भी अराजकता का माहौल है। उन्होंने एक घटना का हवाला देते हुए कहा कि हमीरपुर जिले के नादौन उपमंडल में राज्य विद्युत निगम के धनेटा कार्यालय में एक जूनियर इंजीनियर ने शराब के नशे में अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मारपीट की। उन्होंने कहा कि ऐसे असामाजिक तत्वों को किसी भी तरह का राजनीतिक संरक्षण नहीं मिलना चाहिए और ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, जो राज्य और यहां की जनता को बदनाम करते हैं।
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