पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि दुर्घटना में पिता की मृत्यु के समय मां के गर्भ में पल रहा बच्चा मोटर वाहन (एमवी) अधिनियम के तहत मुआवजे का हकदार होगा।
न्यायमूर्ति सुवीर सहगल ने कहा, “हालांकि दुर्घटना के दिन बच्चा मां के गर्भ में था, फिर भी वह मोटर वाहन अधिनियम के तहत मुआवजे का हकदार होगा।” उन्होंने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा शुरू में दिए गए 8.84 लाख रुपये के मुआवजे को दोगुना कर दिया।
यह फैसला उस मामले में आया जिसमें मोटरसाइकिल चला रहे राकेश कुमार की ट्रैक्टर से टक्कर लगने के बाद मौत हो गई थी। यह दुर्घटना 1 अक्टूबर, 2015 को हुई थी और अगले दिन पुंडरी पुलिस स्टेशन में लापरवाही से मौत और आईपीसी की धारा 279 और 304-ए के तहत एक अन्य अपराध के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी।
न्यायमूर्ति सहगल ने पाया कि दुर्घटना के समय राकेश कुमार की पत्नी गर्भवती थी। उसने दुर्घटना के लगभग दो महीने बाद 18 नवंबर, 2015 को एक लड़के को जन्म दिया। अदालत ने माना कि बच्चा, भले ही उस समय अजन्मा था, मुआवज़ा पाने का हकदार है।
बढ़े हुए मुआवजे की अपील को स्वीकार करते हुए, अदालत ने अपीलकर्ता-परिवार को 9.29 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि देने का आदेश दिया, जो दावा याचिका दायर करने की तारीख से 7.5% प्रति वर्ष की ब्याज दर के साथ देय होगी। तदनुसार अपीलों का निपटारा कर दिया गया।
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