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नए कानून के तहत दिल्ली के सीलमपुर थाने में दर्ज हुई पहली एफआईआर, दूसरी कमला मार्किट थाने में

Under the new law, the first FIR was registered in Delhi's Seelampur police station, the second in Kamla Market police station.

नई दिल्ली, 1 जुलाई नए आपराधिक कानून के तहत दिल्ली में पहली एफआईआर सीलमपुर थाने में रात 12 बजे दर्ज की गई। वहीं दूसरी एफआईआर कमला मार्किट थाने में रात 12 बज कर 15 मिनट पर दर्ज की गई।

पहली एफआईआर के मुताबिक, इसमें बीएनएस धारा 109 (1) के तहत मामल दर्ज किया गया। मामले के मुताबिक इसमें एक शख्स पर दो अज्ञात लोगों ने गोली चलाई थी, जिसमें वह घायल हो गया। वहीं दूसरी एफआईआर कमला मार्किट में दर्ज हुई, जिसमें देर रात पैट्रोलिंग के दौरान पुलिसकर्मी ने देखा एक शख्स रेलवे स्टेशन के पास बीच सड़क पर रेहड़ी लगाकर पानी, गुटखा बेच रहा था, जिससे लोगों को आने जाने में दिक्कत हो रही थी। कई बार कहने पर भी वो नहीं माना और मजबूरी बताकर चला गया। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी ने उसका नाम पता पूछकर नए कानून बीएनएस की धारा 285 के तहत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी।

नये कानूनों से एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी जिसमें ‘जीरो एफआईआर’, पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, ‘एसएमएस’ (मोबाइल फोन पर संदेश) के जरिये समन भेजने जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल होंगे।

गृह मंत्रालय के मुताबिक, इस बदलाव से एक ऐसी प्रणाली स्थापित होगी जिससे 3 साल में किसी भी पीड़ित को न्याय मिल सकेगा। ये कानून संसद ने बीते शीतकालीन सत्र में विधेयक के रूप में पारित किए गए थे। ये नए कानून भारत में ब्रिटिश राज से चले आ रहे इंडियन पीनल कोड (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और एविडेंस एक्ट का स्थान ले चुके हैं।

नए कानून में बलात्कार के लिए धारा 375 और 376 की जगह धारा 63 होगी। सामूहिक बलात्कार की धारा 70 होगी, हत्या के लिए धारा 302 की जगह धारा 101 होगी। लोकसभा ने इन तीनों विधेयकों को 20 दिसंबर और राज्यसभा ने 21 दिसंबर को पारित किया था।

भारतीय न्याय संहिता की बात की जाए तो इसमें 21 नए अपराधों को जोड़ा गया है। इसमें एक नया अपराध माॅब लिंचिंग का भी है। इसके अलावा 41 विभिन्न अपराधों में सजा को बढ़ाया गया है, 82 अपराधों में जुर्माना वृद्धि की गई है, 25 अपराध ऐसे हैं जिनमें न्यूनतम सजा है, 6 अपराधों में सामूहिक सेवा को दंड के रूप में स्वीकार किया गया है और 19 धाराओं को निरस्त किया गया है।

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