सोलन, 13 जुलाई कुछ दिन पहले नालागढ़ उपचुनाव में मतदाताओं के बीच पेशेवर डिग्रीधारी युवाओं सहित शिक्षित युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी तथा नागरिक सुविधाओं की कमी चिंता के प्रमुख मुद्दे थे। बातचीत के दौरान मतदाताओं ने उपचुनाव के कारण उन पर पड़े अनुचित वित्तीय दबाव की निंदा की थी, जो 2022 में विधानसभा चुनाव के बमुश्किल डेढ़ साल बाद हो रहा है।
नालागढ़ के एक मतदान केंद्र पर 70 वर्षीय राम सिंह ने कहा, “पिछले 14 महीनों में आम लोगों का कोई काम नहीं हुआ है और इस उपचुनाव ने उन पर अनावश्यक बोझ डाल दिया है, जिससे उन्हें कोई लाभ नहीं होगा।”
बारू राम (63) ने कहा कि इस औद्योगिक क्षेत्र में नशीली दवाओं का सेवन और बेरोजगारी मुख्य समस्याएँ हैं। “हमें प्रदूषित हवा में सांस लेने और प्रदूषित पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ता है। स्थानीय लोगों को केवल मामूली नौकरियाँ मिलती हैं, जबकि शीर्ष पद दूसरे राज्यों के युवाओं के लिए आरक्षित हैं,” बारू राम ने इसे क्षेत्र के शिक्षित युवाओं के लिए एक झटका बताते हुए कहा।
खेड़ा गांव के करनैल सिंह ने कहा: “यह उपचुनाव आम लोगों पर बहुत बड़ा बोझ था। आम लोगों की समस्याओं की परवाह किसी को नहीं है।” उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों ने चुनाव के दौरान मतदाताओं को शराब और पैसे का लालच दिया, लेकिन बाद में उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया।
स्थानीय निवासी सीता राम ने कहा, “हम एक अविकसित क्षेत्र से हैं। हमें खराब सड़कों और पानी की आपूर्ति की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस क्षेत्र में कोई पशु चिकित्सक भी नहीं है। हमें यहां स्वास्थ्य संस्थानों और पुलों की भी आवश्यकता है।”
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