August 4, 2025
National

केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दिल्ली विधानसभा में 500 किलोवाट सौर संयंत्र का उद्घाटन किया

Union Minister Arjun Ram Meghwal inaugurated 500 kW solar plant at Delhi Assembly

केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने रविवार को दिल्ली विधानसभा में राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन (नेवा) के साथ 500 किलोवाट के रूफटॉप सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया।

मेघवाल ने कहा कि दिल्ली विधानसभा पूरी तरह सौर ऊर्जा पर चलने वाली देश की पहली विधानसभा बन गई है। दिल्ली विधानसभा की ओर से सौर ऊर्जा को पूर्ण रूप से अपनाना देश भर की विधायी और सार्वजनिक संस्थाओं के लिए एक मानक स्थापित करता है।

मेघवाल ने इस उल्लेखनीय प्रगति का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व को दिया और इस परिवर्तन को मूर्त रूप देने के लिए दिल्ली विधानसभा की प्रशंसा की, जहां स्थिरता, आत्मनिर्भरता और डिजिटल सशक्तिकरण एक साथ चलते हैं। मंत्री ने कहा कि डिजिटल इंडिया 2.0 की ‘एक राष्ट्र, एक एप्लीकेशन’ पहल के तहत दिल्ली विधानसभा में नेवा का शुभारंभ न केवल बुनियादी ढांचे के उन्नयन का प्रतीक है, बल्कि संस्थागत मूल्यों में बदलाव का भी प्रतीक है।

सोमवार से शुरू हो रहे मानसून सत्र में इसके पूर्ण कार्यान्वयन की उम्मीद के साथ, दिल्ली विधानसभा का कामकाज पूरी तरह से कागज रहित हो जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु उत्तरदायित्व और प्रशासनिक सुधार का यह सम्मिश्रण लोकतांत्रिक संस्थाओं के केन्द्र में शुरू होना चाहिए। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि संसदीय कार्य मंत्रालय इस संबंध में दिल्ली विधानसभा के प्रयास और पहल को हर संभव सहायता प्रदान करेगा।

अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि विधानसभा में स्थापित सौर संयंत्र का सफलतापूर्वक चालू होना स्वच्छ ऊर्जा और जन उत्तरदायित्व के प्रति हमारी प्रतिबद्धता में एक नया अध्याय जोड़ता है। हमें उदाहरण प्रस्तुत करने और यह प्रदर्शित करने पर गर्व है कि विधायी संस्थाएं पर्यावरण संरक्षण में कैसे अग्रणी भूमिका निभा सकती हैं।

इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, विधानसभा उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, लोक निर्माण मंत्री प्रवेश वर्मा और ऊर्जा मंत्री आशीष सूद भी मौजूद रहे।

विधानसभा की सौर ऊर्जा पहल से प्रति माह 15 लाख रुपये तक की बचत होने का अनुमान है, जो कि लगभग 1.75 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष है। इससे लागत की शीघ्र वसूली होने की उम्मीद है, साथ ही अतिरिक्त बिजली का उत्पादन भी होने की संभावना है।

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