नई दिल्ली, 2 नवंबर । उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा को लेकर कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के जाने और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री चेहरे के सवाल पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) से राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सोमवार को आईएएनएस से बात की।
शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी थी कि वो संभल की कानून व्यवस्था को समझे और अपनी जिम्मेदारी का पालन करे। वहां पर जिस तरीके से हिंसा हुई और लोगों की जान गई, उससे साफ स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार वहां पर नाकामयाब रही।”
उन्होंने आगे कहा, “कहीं ना कहीं राज्य सरकार देख रही थी कि इस मुद्दे का राजनीतिक फायदा होगा, इसलिए उन्होंने संभल को आग में जलने दिया। विपक्ष की जिम्मेदारी है कि वो वहां पर जाकर देखें और शांति को बहाल करने की कोशिश करें। लेकिन आज उनको संभल जाने से रोका जा रहा है। सपा के अखिलेश यादव को रोका गया, कांग्रेस को रोका जा रहा है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी बनती है कि अगर विपक्ष वहां पर जाना चाह रहा है, शांतिपूर्ण तरीके से जाने का मौका मिलना चाहिए।”
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री और कैबिनेट में हो रही देरी के सवाल पर प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “तीनों पार्टियों में एक ही बात चल रही है, सब कुछ ठीक चल रहा है। लेकिन यह एकदम साफ है कि महायुति में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। वो जनता के जनादेश का अनादर कर रहे हैं और मुख्यमंत्री घोषित नहीं कर रहे हैं। अगर सब कुछ अच्छा चल रहा होता, तो एकनाथ शिंदे दिल्ली से लौटकर अपने गांव वापस क्यों चले गए? वह कोई मीटिंग भी अटेंड नहीं कर रहे।”
प्रियंका चतुर्वेदी ने आगे कहा, “वह रविवार को भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कह रहे हैं कि भाजपा के शीर्ष नेता जो भी निर्णय लेंगे, वो उनको मंजूर है। अगर सबकुछ ठीक है तो तीन दिन पहले भी उन्होंने यह बात कही थी और फिर उखड़े हुए बैठे रहे। मेरा मानना है, जो भी चल रहा है, वो महाराष्ट्र के हित के खिलाफ है। मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा जल्द होनी चाहिए। 5 दिसंबर को शपथ लेने की अटकलें लग रही हैं, जबकि राज्यपाल की तरफ से अभी कोई नोटिस नहीं आया और ना ही तीनों पक्ष ने राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश किया।”
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