N1Live National रसोई में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल : सेहत, स्वाद और परंपरा का अनमोल संगम
National

रसोई में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल : सेहत, स्वाद और परंपरा का अनमोल संगम

Use of earthen utensils in the kitchen: A precious combination of health, taste and tradition

चकाचौंध और आधुनिकता की दुनिया में आज किचन में स्टील, नॉन-स्टिक और प्रेशर कुकर जैसे बर्तन आम हो गए हैं। लेकिन, आयुर्वेद और विज्ञान आज एक बार फिर पारंपरिक मिट्टी के बर्तनों की ओर लौटने की सलाह दे रहा है। मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने और खाने के फायदे न सिर्फ स्वास्थ्य से जुड़े हैं, बल्कि स्वाद और परंपरा की दृष्टि से भी ये काफी महत्वपूर्ण हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, भोजन को धीमी आंच में पकाना ही सबसे बेहतर तरीका है। मिट्टी के बर्तनों में खाना धीरे-धीरे पकता है, जिससे इसमें मौजूद सभी जरूरी पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं। जबकि प्रेशर कुकर में तेज भाप और दबाव के कारण ऐसा नहीं होता है। प्रेशर कुकर में खाना बनने के दौरान 87 फीसदी तक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, लेकिन मिट्टी के बर्तनों में ये 100 फीसदी तक सुरक्षित रहते हैं। साथ ही, भोजन में मौजूद सभी प्रोटीन शरीर को खतरनाक बीमारियों से सुरक्षित रखते हैं।

मिट्टी के बर्तन भारत में पारंपरिक रूप से सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं। मिट्टी के बर्तन अन्य धातुओं के बर्तनों की तुलना में आज भी काफी सस्ते होते हैं। विभिन्न आकारों, डिजाइनों और रंगों में ये बर्तन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही प्लेटफॉर्म पर आसानी से मिल जाते हैं।

मिट्टी के बर्तनों में पकाया हुआ खाना न केवल स्वास्थ्यवर्धक होता है, बल्कि इसका स्वाद भी लाजवाब होता है। सौंधी खुशबू और मसालों का मेल एक ऐसा जायका तैयार करता है जिसे कोई भी भूल नहीं सकता। खाने के हर निवाले को यह खास बना देता है, या यूं कहें तो खाने के स्वाद को दो गुना कर देता है।

आज के दौर में मिट्टी के बर्तन केवल सेहत के लिहाज से ही नहीं, बल्कि सजावट और पारंपरिकता के लिए भी पसंद किए जा रहे हैं। खूबसूरत कलाकारी से सजे ये बर्तन किचन और डाइनिंग टेबल को एक देसी और आकर्षक रूप देते हैं। सुबह की चाय कुल्हड़ में हो या ठंडा पानी मटकी में, इसका अनुभव अलग ही होता है।

इस इंसान को हर रोज 18 प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्वों की जरूरत होती है। ये पोषक तत्व मुख्य रूप से मिट्टी से प्राप्त होते हैं। दूसरी तरफ, एल्युमीनियम के बर्तनों में पकाया गया खाना इन पोषक तत्वों को नष्ट कर देता है। इतना ही नहीं, यह टीबी, डायबिटीज, अस्थमा और पैरालिसिस जैसी कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बन जाता है। कांसे और पीतल के बर्तन में भी खाना बनाने से कुछ पोषक तत्व नष्ट होते हैं। खाना पकाने के लिए लेकिन सबसे सुरक्षित और लाभदायक मिट्टी के बर्तन ही हैं।

वर्तमान समय में आधुनिक मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल माइक्रोवेव में भी किया जाता है, जिससे इन्हें पारंपरिक और आधुनिक दोनों तरह के किचन में इस्तेमाल करना संभव है। हालांकि इनका सीधा तेज ताप में इस्तेमाल न करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इनकी ऊष्मा सहन करने की क्षमता अन्य धातुओं से कम होती है।

मिट्टी के बर्तनों में अगर आप दही भी जमाते हैं, तो इनका स्वाद कई गुना बढ़ जाता है। गरमा-गरम दूध भी जब मिट्टी की हांडी में डाला जाता है, तो उसमें एक अलग ही सौंधापन आ जाता है।

Exit mobile version