January 27, 2025
Himachal

टांडा कॉलेज में मातृ एवं शिशु अस्पताल का उपयोग बंद

Use of maternal and child hospital in Tanda College stopped

टांडा मेडिकल कॉलेज में 40 करोड़ रुपये की लागत से बना मातृ एवं शिशु अस्पताल पिछले दो साल से उपयोग में नहीं आ रहा है। इस भवन का निर्माण 2017 में पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में शुरू हुआ था और 2022 में वर्तमान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बनकर तैयार हुआ।

अग्निशमन विभाग से एनओसी का इंतजार 40 करोड़ की लागत से बनी इमारत के लिए अग्निशमन विभाग ने अभी तक एनओसी जारी नहीं की है भवन में रैंप नहीं, दोषपूर्ण डिजाइन के लिए कंसल्टेंसी एजेंसियों को दोषी ठहराया जा रहा रैम्प निर्माण के लिए सीपीडब्ल्यूडी को 4 करोड़ रुपये का अनुमान भेजा गया

टांडा मेडिकल कॉलेज में प्रतिदिन ओपीडी में 3,000 से अधिक मरीज आते हैं टांडा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. मिलाप शर्मा का कहना है कि मदर एंड चाइल्ड हॉस्पिटल की बिल्डिंग का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है, क्योंकि फायर डिपार्टमेंट ने अभी तक इसके लिए एनओसी नहीं दी है। बिल्डिंग में रैंप नहीं है। इसके अलावा बिल्डिंग में फायर सेफ्टी के लिए ओवरहेड वाटर टैंक भी नहीं बनाया गया है।

सूत्रों का कहना है कि इमारत की डिजाइनिंग के लिए जिन कंसल्टेंसी कंपनियों को नियुक्त किया गया था, उन्हें इमारत में कमियों के लिए दोषी ठहराया जा रहा है।

प्रिंसिपल का कहना है कि रैम्प निर्माण के लिए करीब 4 करोड़ रुपए का एस्टीमेट सीपीडब्ल्यूडी को भेजा गया है। उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि अस्पताल में जल्द ही रैम्प बन जाएंगे और बिल्डिंग जल्द से जल्द इस्तेमाल में आ जाएगी।”

सीपीडब्ल्यूडी ने केंद्र सरकार द्वारा दिए गए अनुदान से इस भवन का निर्माण कराया था। वर्तमान सरकार ने हाल ही में इस भवन का नाम पूर्व मंत्री और कांगड़ा से वरिष्ठ कांग्रेस नेता जीएस बाली के नाम पर रखा है।

टांडा मेडिकल कॉलेज में रोजाना ओपीडी में 3000 से ज्यादा मरीज आते हैं। सरकार द्वारा प्रदेश के निजी अस्पतालों में हिमकेयर योजना बंद करने के बाद अस्पताल पर काम का बोझ बढ़ गया है।

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