हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव संजय गुप्ता ने आज कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के युग में डेटा की भूमिका लगातार बढ़ रही है और “हमें बेहतर परिणामों के लिए इसका उपयोग करने की आवश्यकता है”। वह यहाँ ‘हिमाचल प्रदेश में शासन में डेटा के उपयोग को सुदृढ़ बनाना’ विषय पर एक कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे।
गुप्ता ने कहा, “एआई और आईटी के युग में डेटा की भूमिका लगातार बढ़ रही है। डेटा के बेहतर उपयोग से न केवल नीति निर्माण में मदद मिलेगी, बल्कि राज्य की प्रगति में भी तेज़ी आएगी। डेटा की असली ताकत तब सामने आती है जब विभिन्न तथ्यों को सही ढंग से एकीकृत किया जाता है।”
उन्होंने कहा कि ‘डेटा साक्षरता’ ने भी इसके संग्रहण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने आगे कहा कि डेटा के रखरखाव में सटीकता बेहद ज़रूरी है। उन्होंने आगे कहा, “विभिन्न विभाग अलग-अलग तरह के डेटा एकत्र करते हैं, लेकिन योजना बनाने के लिए उनका उचित एकत्रीकरण और एकीकरण ज़रूरी है।”
मुख्य सचिव ने कहा कि अधिकारीगण, विभागों की गोपनीयता बनाए रखते हुए, क्षेत्रीय कार्यालयों से प्राप्त आंकड़ों की निगरानी और विश्लेषण करें ताकि छेड़छाड़ को रोका जा सके। गुप्ता ने कहा कि एक सुरक्षित और अंतर-संचालनीय राज्य डेटा एकीकरण प्लेटफ़ॉर्म विकसित करना, एक मज़बूत डेटा गवर्नेंस बुनियादी ढाँचा तैयार करना, अंतर-विभागीय डेटा उपयोग को प्रोत्साहित करने और डेटा को प्रशासनिक कार्यप्रणाली का अभिन्न अंग बनाने के लिए संस्थानों के सहयोग से डेटा लैब या नीति प्रयोगशालाएँ स्थापित करना आवश्यक है।
मुख्य सचिव ने कहा, “हिमाचल प्रदेश ग्रामीण अर्थव्यवस्था, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण प्रदर्शन कर रहा है। राज्य की प्रगति आंकड़ों में दिखाई देनी चाहिए और इसे जनता के लिए उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाया जाना चाहिए।”
वित्त सचिव अभिषेक जैन ने कहा कि आज सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति डेटा और सटीक जानकारी का संग्रह है। उन्होंने आगे कहा कि डेटा विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।


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